18 फरवरी 2016 को, भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का शुभारंभ किया. इसके लॉन्च के बाद, पीएमएफबीवाई को खरीफ 2016 के दौरान 21 राज्यों द्वारा लागू किया गया था, जबकि 2016-17 के रबी सीजन में 23 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों ने इस योजना को लागू किया. केंद्र सरकार ने 2016 के खरीफ सीजन में बेमौसम और खराब मौसम के कारण किसानों को...
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ओमिक्रॉन: 'पहली बार एक नए गेंदबाज का सामना करने जैसा है'
-इंडियास्पेंड, दक्षिण अफ्रीका में सार्स-कोविड-2 का एक नया वेरिएंट भारत समेत दुनिया के दो दर्जन से अधिक देशों में फैल चुका है। नाम है इसका ओमीक्रॉन। ओमीक्रॉन न सिर्फ पब्लिक हेल्थ सेक्टर में, बल्कि दुनियाभर के फाइनेंशियल सेक्टर में भी सुर्खियों में है। दुनियाभर की सरकारों में भी इस बात को लेकर चिंता पैदा हो रही है कि आने वाले वक्त में यह किस तरह से अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा। ऐसे...
More »कोविड-19 से मौतों के आंकड़े सही नहीं, तकनीकी आधार पर मुआवज़ा ख़ारिज न करें: सुप्रीम कोर्ट
-द वायर, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्यों द्वारा जारी किए गए कोविड-19 से हुईं मौतों संबंधी आधिकारिक आंकड़े ‘सच नहीं’ थे और राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि वे उन मृतकों के परिजनों को मुआवजा प्रदान करें, जिन्होंने मुआवजे के लिए आवेदन दिया है और तकनीकी आधार पर उनके दावों को खारिज न करें. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के मुताबिक, जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना...
More »गैर वाजिब बटवारा संसाधनों का पुनर्वितरण हमारे भविष्य के लिए अनिवार्य
-कारवां, 2019 में मैंने ट्विटर पर एक इन्फोग्राफिक देखा जिसमें पेड मैटरनिटी लीव (वैतनिक मातृत्व अवकाश) देने वाले देशों के नाम थे. पता चला कि संयुक्त राज्य अमेरिका वैतनिक मातृत्व अवकाश नहीं देता है. इस सूची में भारत का स्थान ब्रिटेन के बाद, दूसरे नंबर पर है. हमारे यहां 26 सप्ताहों का वैतनिक मातृत्व अवकाश मिलता है. मुझे यह बात जरूर खली कि मातृत्व अधिकार अधिनियम केवल संगठित क्षेत्र में लगी औरतों के...
More »आर्थिक विकास तो महत्वपूर्ण है, लेकिन भारत को बेरोजगारी, गरीबी, स्वास्थ्य, पर्यावरण पर भी ध्यान देना जरूरी है
-द प्रिंट, बजट और आर्थिक सर्वेक्षण से व्यापक अर्थव्यवस्था के लिए सरकार की जो रणनीति उभरती है उसे इन शब्दों में सरलता से कहा जा सकता है—आर्थिक वृद्धि सभी समस्याओं का समाधान कर देगी. यह रणनीति दो दशक पहले कारगर होती थी जब व्यापक अर्थव्यवस्था के संकेतक आज के वित्तीय घाटे के लिहाज से हुआ करते थे, सरकारी कर्ज पर ब्याज भारी होता था, और बैंक समस्याओं से ग्रस्त होते थे....
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