हमारे देश के ऊंचे और रसूखदार लोगों का किया-धरा धीरे-धीरे अब सार्वजनिक जानकारी के दायरे में आता जा रहा है। पनामा पेपर्स का खुलासा इनमें सबसे ताजातरीन मामला है। इन खुलासों ने हड़कंप मचा दिया है कि भारत की कम से कम पांच सौ आलातरीन शख्सियतों की पनामा में फर्जी कंपनियां हैं, जिनका मकसद मनी लॉन्ड्रिंग या धन छिपाना था। इस खुलासे के बाद ज्यादा से ज्यादा यही कहा जा...
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बड़ा सवाल बीमार बैंकों का है- प्रमोद जोशी
विडंबना है कि जब देश के 17 सरकारी बैंकों के कंसोर्शियम ने सुप्रीम कोर्ट में रंगीले उद्योगपति विजय माल्या के देश छोड़ने पर रोक लगाने की मांग की, तब तक माल्या देश छोड़ चुके थे. अब सवाल बैंकों से किया जाना चाहिए कि उन्होंने क्या सोच कर माल्या को कर्जा दिया था? हाल में देश के 29 बैंकों से जुड़े कुछ तथ्य सामने आये, तो हैरत हुई कि यह...
More »आर्थिक उदय का वह नायक- संजय बारु
आज कच्चे तेल की कीमतों के गिरने पर दुनिया इस चिंता में दुबली हुई जा रही है कि इसका आर्थिक विकास पर कितना बुरा असर पड़ेगा। हालांकि कच्चे तेल के मामले में पूरी तरह आयात पर निर्भर भारत इस परिस्थिति पर न तो खुश होता दिखता है, और न ही दुखी। दरअसल, भारतीय नीति-नियंता उन कीमतों को नहीं भूल पाए हैं, जो उन्हें तेज वृद्धि के दौरान चुकानी पड़ी थी। उनका...
More »जरूरी है किसानों की आय बढ़ाना --- देविन्दर शर्मा
भारत के 17 राज्यों में खेती से एक किसान की औसत आय 20 हजार रुपये सालाना है. इसमें उत्पादन का वह अंश भी शामिल है जिसे वह पारिवारिक उपभोग के लिए रखता है. दूसरे शब्दों में, इन राज्यों में किसान की औसत मासिक आय महज 1,666 रुपये है. जी हां, आपने सही पढ़ा. महज 1,666 रुपये. इस तस्वीर में आप खुद को रख कर देखें. अगर आप किसान होते और...
More »बजट 2016 : गांवों के कायाकल्प की कोशिश
भारतीय अर्थव्यवस्था पर वैश्विक मंदी के साथ कृषि संकट का भारी दबाव है. ऐसी स्थिति में आम बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ग्रामीण विकास और इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोर देकर सरकार की दूरदर्शिता और प्राथमिकता को स्पष्ट रूप से रेखांकित किया है. औद्योगिक उत्पादन और घरेलू मांग में बढ़ोतरी के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना बहुत जरूरी है. इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए वित्त मंत्री ने...
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