सरकार के हर मंच से नोटबंदी को सही बताने के बाद 2016-17 की चौथी तिमाही के आंकड़े बताते हैं कि सकल घरेलू उत्पाद दर घट कर 7.1 से 6.1 फीसद पर आ गई। बाजार में तरलता की कमी से मांग घटी और छोटे कारोबारियों की कमर टूट गई। अब जबकि जीएसटी के अमल का समय नजदीक आ रहा है, सरकार जमीनी सच्चाई को नकारते हुए कमजोर अर्थव्यवस्था का ठीकरा...
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कैसे थमे नक्सली कहर-- प्रमोद भार्गव
छत्तीसगढ़ में माओवादी नक्सलियों ने सीआरपीएफ के जवानों पर एक बार फिर हमला किया। इसमें छब्बीस जवान शहीद हो गए। इस बार नक्सलियों ने हमले का नया तरीका अपनाया। करीब तीन सौ की संख्या में आए नक्सली काली वर्दी पहने हुए थे। उन्होंने महिलाओं और बच्चों को ढाल बना कर गोलियां दागीं। इसी साल 11 मार्च को भी सुकमा में नक्सली हमला हुआ था, जिसमें सीआरपीएफ के बारह जवान हताहत...
More »‘आप’ को फिर जन-आंदोलन बनना होगा-- राजदीप सरदेसाई
जिस दिन टीवी पर दिल्ली नगर निगम चुनाव को लेकर एग्ज़िट पोल के नतीजों में भाजपा की एकतरफा जीत का अनुमान व्यक्त किया जा रहा था, आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता विद्रोही तेवरों में आसन्न हार के लिए ईवीएम को दोष दे रहे थे। मैंने पूछा कि आप एग्ज़िट पोल पर ईवीएम से छेड़छाड़ का आरोप कैसे लगा सकते हैं, क्योंकि वह तो मतदाताओं के सैंपल के आधार पर होता...
More »एक नारीमय राजनीति की बुनियाद-- रुचिरा गुप्ता
चंपारण सत्याग्रह में औरतें पहली बार हिंदुस्तान की जमीनी राजनीति से जुड़ीं और यह औरतों की भागीदारी का बुनियाद बन गया. सूत कातना और खादी बुनना गरीब से गरीब महिला भी अपने घर में कर सकती थी. लाखों वॉलंटियरों, विशेषकर महिलाओं को, जो अपना घर नहीं छोड़ सकतीं थीं और पढ़ी-लिखी भी नहीं थी, अब आंदोलन भाग ले सकती थीं. इन कार्यों ने सबको बदला-शक्तिशाली और कमजोर को, मर्द को...
More »घोर विपदा की तरफ बढ़ता कश्मीर-- पी चिदंबरम
जम्मू एवं कश्मीर की स्थिति पर मैंने कई बार लिखा है, खासकर कश्मीर घाटी की स्थिति के संदर्भ के साथ। अप्रैल से सितंबर 2016 के दरम्यान, प्रस्तुत पेज पर, इस विषय पर छह स्तंभ आए। मेरा मुख्य तर्क यह था कि जम्मू-कश्मीर में पीडीपी-भाजपा सरकार और केंद्र सरकार ने जो नीतियां अख्तियार की हुई हैं उनके चलते हम कश्मीर को खो रहे हैं। कश्मीर घाटी के बाहर, कुछ ही लोगों...
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