जनसत्ता 27 अगस्त, 2013 : रुपया लुढ़कता जा रहा है। इसे रोकने की भारत सरकार और रिजर्व बैंक की सारी कोशिशें नाकाम होती जा रही हैं। चारों तरफ घबराहट फैल रही है। इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ रहा है। पेट्रोल सहित तमाम आयातित वस्तुएं महंगी होने से महंगाई का एक नया सिलसिला शुरू हो रहा है। एक तरह से हम महंगाई का आयात कर रहे हैं। इतना ही नहीं, विदेशी...
More »SEARCH RESULT
कभी स्वर्ग, आज वीरान!- हरिवंश
वेतन लाखों में हो गये. लेकिन वेतन बढ़ने से वास्तविक उत्पादन या आय पर क्या असर हुआ, इसे जांचने का कोई विश्वसनीय मेकेनिज्म नहीं है. अमेरिका के डेट्रायट शहर में यही हुआ. पेंशन का बोझ बढ़ता गया. रिटायर लोगों की पेंशन, नये नियुक्त लोगों की तनख्वाह से कई गुना अधिक. ऊपर से शहर की सरकार ने बाहर से कर्ज लेना जारी रखा. कर्ज अगर भोग-विलास के लिए लिया जाये, तो दुर्दशा...
More »रीढ पर चोट- प्रदीप सती
उत्तराखंड में आई हालिया प्राकृतिक आपदा ने प्रदेश की रीढ़ माने जाने वाले पर्यटन उद्योग पर बड़ी चोट की है जिससे हजारों लोगों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है. प्रदीप सती की रिपोर्ट. एक-हरिद्वार में गंगोत्री टूर ऐंड ट्रैवल्स के नाम से कंपनी चलाने वाले अर्जुन सैनी ने लोन पर खरीदी गई अपनी तीन गाड़ियां सरेंडर कर दी हैं. चार धाम यात्रा बंद है और काम बस नाम...
More »2600 करोड़ कर्ज देने का लक्ष्य
कोलकाता: राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित सहकारिता बैंकों के विकास के लिए तृणमूल सरकार ने छह मंत्रियों को लेकर एक मंत्री समूह का गठन किया है, शनिवार को राइटर्स बिल्डिंग में राज्य के वित्त मंत्री अमित मित्र के नेतृत्व में इस मंत्री समूह की पहली बैठक हुई. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस बैठक में राज्य के विभिन्न क्षेत्र में स्थित 15 सहकारिता बैंकों को लेकर वित्त मंत्री...
More »जो अन्न उपजाता है वही भूखा रह जाता है : देविंदर शर्मा
खाद्य सुरक्षा विधेयक का विरोध दो कारणों से हो रहा है. एक राजनीतिक और दूसरा कॉरपोरेट घरानों या उनके समर्थक अर्थशास्त्रियों की ओर से. उनका कहना है कि खाद्यान्न सुरक्षा पर हर साल एक लाख 25 हज़ार करोड़ रुपये खर्च होगा. इससे घाटा बढ़ेगा इसलिए इसकी कोई ज़रूरत नहीं है. खाद्यान्न सुरक्षा पर हर साल एक लाख 25 हज़ार करोड़ रु पए ख़र्च होने पर एतराज़ जताया जा रहा है....
More »