रायगढ़ । 'मैं दिल्ली में पिछले एक साल से फंसी हूं, यहां मेरे साथ शोषण किया जा रहा है। मेरा मोबाइल भी लेकर तोड़ दिए हैं। इससे मैं आप लोगों से बात नहीं कर पा रही थी। खाना बनाने वाले रसोईये से मिन्नत के बाद उसने मोबाइल दिया है जिससे मैं बात कर रही हूं। मुझे किसी तरह यहां से निकालकर अपने साथ ले जाईये, मैं बहुत तकलीफ में हूं।' ये...
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शहरीकरण से दूर होगी गरीबी?-- अनुपम त्रिवेदी
पिछले महीने पुणे में स्मार्ट सिटी परियोजना का शुभारंभ करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि शहरीकरण को समस्या नहीं, बल्कि गरीबी दूर करने का एक अवसर माना जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यदि किसी में गरीबी कम करने की क्षमता है, तो वह हमारे शहर हैं, क्योंकि वहां काम के अवसर हैं. यही वजह है कि गरीब गांवों से निकल कर शहरों में जाते हैं. लेकिन, क्या यह सच...
More »मनरेगा की मजदूरी -- देर ना हो जाये कहीं देर ना हो जाय !
‘ मजदूरी का भुगतान ना होने और भुगतान में देरी के कारण श्रमिकों के बीच मनरेगा की साख खत्म हो गई है.' मध्यप्रदेश में मनरेगा के क्रियान्वयन की कड़वी सच्चाई बयान करने वाला यह वाक्य ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा गठित कॉमन रिव्यू मिशन(सीआरएम) की हाल ही में जारी एक समीक्षा रिपोर्ट का है.( रिपोर्ट के लिए यहां क्लिक करें) मनरेगा के असरदार क्रियान्वयन में फंड की कमी को बड़ी बाधा बताते हुए...
More »कभी अबरख से चमकता था, अब ढीबरा तले दबा कोडरमा-- जीवेश
कोडरमा शहर व मुख्य पथ से महज छह किलोमीटर हट कर है छतरबर का इलाका. इस घनी बस्ती से सट कर शुरू होता है जंगली क्षेत्र. झाड़ियोंवाले इस जंगल में थोड़ी दूर जाने पर ही सड़क के किनारे सुरंगें दिखनी शुरू हो जाती हैं. इन सुरंगों से जमीन के अंदर घुस ढीबरा (अबरख का स्क्रैप) चुनते हैं गांववाले. झाड़ियों के बीच स्थित पगडंडी पर तीर का लाल (रात में...
More »कृषि ऋण की राह में मुश्किलें-- विभाष
बैंकों से किसानों को मिलनेवाले कृषि ऋण को लेकर कई भ्रांतियां हैं. बड़ी शिकायत यह रहती है कि ढेर सारे दस्तावेज बैंक में जमा करने पड़ते हैं. एक सेमिनार में एक बड़े उद्योगपति ने यह बात सबके सामने रखी. मैंने प्रतिकार किया कि कोई भी ऋण बिना न्यूनतम दस्तावेज के नहीं दिया जा सकता. कृषि ऋण के दस्तावेजों को सरल और मानक बनाने के उद्देश्य से रिजर्व बैंक ने वर्ष...
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