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आरटीआई कार्यकर्ता निखिल डे और साथी कोर्ट में दोषी करार, अरुणा राय ने कहा फैसला निराशाजनक

सूचना के अधिकार कानून के प्रसिद्ध कार्यकर्ता और समाजसेवी निखिल डे और उनके चार अन्य साथियों को किशनगढ़(अजमेर, राजस्थान) की एक अदालत ने दोषी ठहराते हुए चार माह के जेल की सजा सुनायी है.   16 मई 1998 के इस मामले में अदालत का फैसला 19 साल बाद 13 जून 2017 को आया है. मामला बिना मंजूरी रिहायशी परिसर में आने और हाथापाई करने से संबंधित है.   अदालत ने फैसले के तत्काल अमल को रोकते हुए...

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सिर्फ नारों से नहीं बचेगी पृथ्वी-- रोहित कौशिक

काफी समय से पेरिस जलवायु समझौते की आलोचना कर रहे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आखिरकार अमेरिका को इस समझौते से अलग कर लिया। ट्रंप का कहना है कि इस समझौते से भारत और चीन को अनुचित लाभ मिल रहा है। पेरिस समझौते के तहत दोनों देश अगले कुछ वर्षों में कोयले से संचालित बिजली संयंत्रों को दोगुना कर लेंगे और भारत को अपनी योजनाएं पूरी करने के लिए अच्छी-खासी...

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बढ़ती महामारियों के दौर में-- डा. ए के अरुण

विगत कुछ वर्षों से विवादास्पद व खतरनाक किस्म के वायरस से होनेवाली बीमारियों के महामारी बनने की चर्चा ज्यादा हो रही है. कहा जा रहा है कि विगत 30 वर्षों में 30 से ज्यादा नये-पुराने वायरस घातक बन कर मानव दुनिया के लिए खतरा बन चुके हैं. इन दिनों ‘जीका' वायरस चर्चा में है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने वैसे तो इस वायरस को लेकर इमरजेंसी एलर्ट जारी किया था,...

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स्वच्छ वातावरण का सपना--- विवेक कुमार बडोला

दुनिया में जैसे-जैसे पर्यावरण संकट बढ़ रहा है वैसे-वैसे पर्यावरण के प्रति गंभीर मानवीय चिंता और चिंतन का अभाव भी हो रहा है। सरकारी संस्थाएं और गैर-सरकारी संगठन आधिकारिक रूप से इस संबंध में भले समय-समय पर चिंता प्रकट कर रहे हैं, पर आम लोग अपने स्तर पर पर्यावरण सुरक्षा का उत्तरदायित्व लेने को अब भी तैयार नहीं। अभी कुछ दिन पहले न्यूजीलैंड और भारत स्थित न्यायालयों ने नदियों को जीवित...

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दबाव और द्वंद्व में पिसते मासूम-- ज्योति सिडाना

आजकल युवाओं का अच्छी नौकरी और उच्च वेतन पाने से संबंधित अलग-अलग तरह के दबावों के कारण आत्महत्या करना कुछ-कुछ समझ में आता है, लेकिन स्कूल में पढ़ने वाले छोटे-छोटे बच्चों की आत्महत्याएं समझ से परे हैं, क्योंकि इनके कारण गैर-तार्किक ही नहीं, बल्कि अर्थहीन भी होते हैं। उन्हें अपनी हर समस्या का एक ही हल नजर आता है- आत्महत्या कर लेना। उपभोक्तावाद ने एक-दूसरे की समस्याएं समझने की शैली...

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