पटना : छह साल बाद कोसी के कुसहा तटबंध टूटने की जांच रिपोर्ट सामने आयी है. जस्टिस राजेश वालिया की अध्यक्षता में गठित जांच आयोग ने माना है कि जल संसाधन विभाग के आपसी समन्वय की कमी से कुसहा तटबंध टूटने की जानकारी सरकार को देर से मिली. साढे सात सौ पन्नों की वालिया आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, जिस समय कुसहा में तटबंध टूट रहा था, वहां...
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गांवों के विकास में उद्योगों की साझेदारी -डॉ. अनिल प्रकाश जोशी
दूसरे विश्वयुद्ध के बाद जब यूरोप की अर्थव्यवस्था लड़खड़ा गई, उस समय उद्योगों को मूलमंत्र मानकर विकास की रूपरेखा तैयार की गई। इसी समय दो बड़े परिवर्तन भी हुए। पहला, विकास की परिभाषा इस तरह गढ़ दी गई, जिसका सीधा-सीधा मतलब था कि उद्योग और उससे जुड़े तमाम आयामों को ही विकास मान लिया जाए। दूसरा, इसके बाद ही भोगवादी सभ्यता का चलन बढ़ा। अपने देश ने भी स्वतंत्रता के बाद...
More »हिन्दी के विस्थापन का दौर- प्रभु जोशी
जनसत्ता 31 जुलाई, 2014 : अगर आप हिंदी को गरियाने के लिए आगे आने का नेक इरादा रखते हैं तो फिर निश्चिंत हो जाइए कि अब आप अकेले नहीं हैं, बल्कि वित्तीय पूंजी के इस सर्वग्रासी दौर में, नई-नई विचार प्रविधियों से, उपनिवेशीकृत बनाए जा रहे, भारतीय मध्यवर्ग के बुद्धिजीवियों की एक पूरी रेवड़ आपके पीछे दौड़ी चली आने वाली है। इस अनुगामिनी भीड़ को अगर आप थोड़े अतिरिक्त उन्माद...
More »हाशिए पर भारतीय भाषाएं- अंजुम शर्मा
जनसत्ता 29 जुलाई, 2014 : लोकतंत्र में अगर तंत्र की भाषा लोक से भिन्न हो जाए तो यह लोकतंत्र के लिए अच्छा सूचक नहीं है। संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा में भाषाई आधार पर भेदभाव के जो आरोप सामने आ रहे हैं उनसे अंगरेजी मानसिकता की वर्चस्ववादी नीति और भारतीय भाषाओं की दुर्दशा पर एक बार फिर विचार करने की जरूरत पैदा हुई है।...
More »कब तक खुले रहेंगे मौत के फाटक? -अनूप कृष्ण झींगरन
भारतीय रेलवे विश्व के विशालतम रेलवे तंत्रों में से एक है। इतने विस्तृत तंत्र पर आए दिन रेल दुर्घटनाएं भी होती रहती हैं। हालांकि आंकड़ों के अनुसार यात्रियों की संख्या, तंत्र के विस्तार तथा रेल यातायात को देखते हुए भारतीय रेल एक अपेक्षाकृत सुरक्षित तंत्र है, जहां पर हताहतों की संख्या की दर 0.01 यात्री प्रति दस लाख किलोमीटर है। परंतु एक भी बड़ी दुर्घटना होने पर दक्षता के सारे...
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