नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। कमरतोड़ महंगाई को थामने में नाकाम रही सरकार ने चुनावी साल में 17 करोड़ गरीब कम करने का चमत्कार कर दिखाया है। ऐसा गरीबों की आमदनी का जरिया बढ़ाकर नहीं बल्कि आमदनी के आंकड़े में हेरफेर कर किया गया है। उनकी आय महज एक रुपये बढ़ाकर एक झटके में 15 फीसद गरीब कम कर दिए गए। पिछले कई सालों से महंगाई भले ही चरम पर हो,...
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कहां पहुंची यह मूक क्रांति!- कमल नयन चौबे
प्रसिद्ध राजनीतिशास्त्री क्रिस्टोफ जेफरलॉट ने अपने लेख ‘कास्ट एंड राइज ऑफ माजिर्नलाइज्ड ग्रुप्स' में राजनीतिक रूप से शक्तिशाली रही अभिजन जातियों के वर्चस्व को चुनौती देते हुए मध्यवर्ती जातियों के उभार को सत्ता के हस्तांतरण के तौर पर देखा है और इसे एक मूक क्रांति की संज्ञा दी है. लेकिन क्या यह मूक क्रांति वास्तव में अपने लक्ष्यों को लेकर आगे बढ़ रही है? क्या जाति आधारित राजनीति में साधन यानी...
More »न्याय के प्रप्रतिनिधियों को न्याय नहीं
गांवों में आम आदमी को सस्ता, सुलभ न्याय दिलाने के उद्देश्य से 73 वां संविधान संशोधन विधेयक के तहत बिहार में ग्राम कचहरी को भी कानूनी मान्यता दी गयी. छोटे-मोटे विवादों का निबटारा गांवों में हो, ताकि बड़ी अदालतों पर बोझ कम हो. इसी मकसद से ग्राम कचहरी का गठन किया गया. राज्य में इसके प्रप्रतिनिधि भी हजारों की संख्या में चुने गये. पंच-सरपंच संघ बिहार प्रदेश के अध्यक्ष आमोद...
More »अब वार्ड सदस्य को भी चाहिए योजनाओं के कमीशन में हिस्सा : दयामनी
हमारे गांवों का कितना विकास हुआ है. क्या चुनौतियां हैं. विकास के मौजूदा मॉडल से आप कितनी सहमत हैं? मौजूदा विकास को दो-तीन तरह से देखना होगा. पहले समझना होगा कि विकास का मतलब क्या है. किस तरह का विकास होना है और किसका विकास होना है. आज सरकार की नजर में विकास का जो पैमाना है, जिसे मेनस्ट्रीम सोसाइटी विकास मानती है, और जो विकास हो रहा है क्या कल...
More »यह गरीबी और गैरबराबरी- कृष्ण प्रताप सिंह
संयुक्त राष्ट्र की रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर लीस ग्रैंड का कहना है कि भारत गरीबी उन्मूलन के संयुक्त राष्ट्र के सहस्नब्दी विकास लक्ष्य की दिशा में ‘उचित गति' से अग्रसर है और 2015 तक इसे प्राप्त कर लेगा. उनके कथन का आधार संयुक्त राष्ट्र महासचिव द्वारा तैयार करायी गयी वह रिपोर्ट है, जिसके अनुसार देश में व्यापक स्तर पर फैली गरीबी 1994 के 49 प्रतिशत से घट कर 2005 में 42 प्रतिशत...
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