पिछले साल किसान सूखे की मार झेल चुके हैं। इस साल फिर सूखा पड़ गया। जबकि कुछ वर्षों से किसान निरंतर संकट में हैं। उनकी हालत पहले से ही खराब है। इस वर्ष सूखे ने उन्हें गहरे संकट में डाल दिया है। भारतीय मौसम विभाग की भविष्यवाणी सही निकली है। खुद कृषि मंत्रालय ने स्वीकार कर लिया है कि सामान्य से पंद्रह-सोलह फीसद कम बारिश हुई। इससे खरीफ की फसल...
More »SEARCH RESULT
दाल का हाल : आत्मनिर्भरता से कितना दूर है देश ?
क्या निकट भविष्य में देश दलहन के मामले में आत्मनिर्भर हो पाएगा जैसा कि केंद्र की नई सरकार के एक साल पूरा होने पर प्रधानमंत्री ने वादा किया था ? दलहन के उत्पादन, आयात और उपभोग से संबंधित हाल का एक अध्ययन प्रधानमंत्री के वादे के विपरीत इशारे करता है. मिसाल के लिए अध्ययन के इन तथ्यों पर गौर करें : साल 2030 तक भारत की आबादी के 1.68 अरब होने के अनुमान हैं...
More »हवाओं के रुख को बताता मोदी का भाषण - के. बेनेडिक्ट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस बार का स्वतंत्रता दिवस का भाषण यूं तो हमेशा की तरह उनकी वक्तृत्व शैली और श्रोताओं से जुड़ने की उनकी क्षमता की ही एक और बानगी था, लेकिन इस बार का भाषण उनके कई समर्थकों को शायद इसलिए निराशाजनक लगा हो, क्योंकि उसमें पर्याप्त सामग्री नहीं थी। कइयों को उसमें महत्वपूर्ण बातों के बजाय दोहराव और पीआर संबंधी कवायद अधिक लगी। अलबत्ता उन्होंने इस अवसर...
More »किसानों की खुदकुशी के सबब- विनोद कुमार
जरा गौर कीजिए कि इसी देश में करीब अठारह-बीस करोड़ भूमिहीन दलित, अति पिछड़े मजूर हैं। उनके जीवन में यह मौका ही नहीं आता कि वे बैंक से कर्ज लें, खेती करें, उनकी फसल नष्ट हो और वे आत्महत्या कर लें। इसका अर्थ यह नहीं कि हम किसानों की आत्महत्या से पीड़ा का अनुभव नहीं करते। लेकिन इस बात को समझना तो होगा कि एक भूमिहीन किसान या मजूर आत्महत्या न...
More »बाधाओं के बावजूद महिलाओं का संघर्ष- ऋतु सारस्वत
देश की हाई कोर्ट की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश लीला सेठ का यह वक्तव्य हालांकि वर्ष 1978 में घटे एक वाकये का है, परंतु क्या तब से लेकर इस तस्वीर में कोई बदलाव आया है? फोर्ब्स पत्रिका की शीर्ष प्रभावशाली महिलाओं की सूची में चंद भारतीय महिलाओं के चमकते चेहरे बेशक हां में इसका जवाब देने का संकेत करते हैं, लेकिन क्या उंगलियों पर गिनी जाने वाली इन महिलाओं की...
More »