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केंद्रीय मंत्री बोले- स्‍कूल-कॉलेजों को वास्‍तु के हिसाब से बनाना जरूरी

चार्ल्स डार्विन के सिद्धांत पर अंगुली उठाने वाले केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री सत्यपाल सिंह ने इस बार महान वैज्ञानिक आइजेक न्यूटन पर विवादित बयान दिया है। केंद्रीय मंत्री ने स्कूल-कॉलेजों का निर्माण भी वास्तु के हिसाब से कराने की सलाह दी है। उन्होंने अध्ययन-अध्यापन के लिए इसे महत्वपूर्ण बताया है। आईपीएस अधिकारी रह चुके सत्यपाल सिंह ने सेंट्रल एडवायजरी बोर्ड ऑफ एजुकेशन (CABE) की बैठक (15-16 जनवरी) के दौरान...

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ज्ञान बांटने वालों के साथ ऐसी बेदिली-- बृंदा करात

हेमलता ने इसी जनवरी में अपने पति खेमचंद को दुखद परिस्थितियों में खो दिया। वह चांदनी चौक के एक प्राइमरी स्कूल में शिक्षक थे। उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अधीन आने वाले इस स्कूल में वह 1997 से पढ़ा रहे थे। जो आखिरी सैलरी उनके हाथों में आई थी, वह 58,000 रुपये थी। खेमचंद पर अपनी विधवा मां, पत्नी हेमलता, पांच बच्चे और एक बहन का भार था। वह मूल...

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रोजगार के अवसरों में कमी के रुझान जारी: लेबर ब्यूरो की नई रिपोर्ट

संगठित क्षेत्र में रोजगार में कमी के रुझान साल 2017-18 के पहली तिमाही में भी जारी रहे. रोजगार के रुझानों से संबंधित हाल की नई रिपोर्ट से इस बात के संकेत मिलते हैं.तिमाही रिपोर्ट छठे दौर की गणना पर आधारित है और इसे लेबर ब्यूरो ने जारी किया है. रिपोर्ट में 1 जुलाई 2017 तक की स्थितियों का आकलन है. ब्यूरो की नई रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017-18 की...

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शिक्षा सुधार की बुनियाद--- जगमोहन सिंह राजपूत

पिछले दो साल से देश की नई शिक्षा नीति बनाने की प्रक्रिया चल रही है। इसके पहले शिक्षा नीति 1968, 1986 और 1992 में पुनर्निर्धारित हुई थी। बड़े परिवर्तन आवश्यक थे, और हुए भी, मगर जो अपेक्षाएं नीतिगत स्तर पर की गर्इं, वे कभी पूरी नहीं हो सकीं। धीरे-धीरे शिक्षा केवल परीक्षा-आधारित कष्टप्रद बोझ बन गई। बोर्ड परीक्षा के अंक-प्रतिशत ही एकमात्र लक्ष्य बन कर रह गए। कक्षाओं तथा स्कूलों...

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बांध, पर्यावरण और जनजीवन-- मणीन्द्र नाथ ठाकुर

महानंदा नदी को क्या कोसी नदी की तरह ही बिहार या सीमांचल का अभिशाप कहा जा सकता है? यह सवाल उठा रहे हैं कटिहार जिला के कदवा प्रखंड में जमा हुए हजारों लोग. देश में राजनीति के बदले माहौल में भी यदि यह संभव हो सका कि आस-पास के कई विधानसभा क्षेत्र के वर्तमान और भूतपूर्व विधायक अपनी पार्टियों की पहचान से ऊपर उठकर एक मंच पर आ सकें और...

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