राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून यानी नरेगा की हकीकत जानना हो तो आपको झारखंड के लातेहार जिले में जाना चाहिए। आप चाहें तो पलामू, हजारीबाग और देवघर भी जा सकते हैं। सच तो यह है कि पूरा झारखण्ड ही आपको नरेगा की हकीकत से रू-ब-रू करा सकता है। भारत सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र में रहनेवाले भूमिहीन, मजदूर एवं लघु कृषक परिवारों के आजीविका को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से रोजगार...
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पर्यावरण की राजनीति और धरती का संकट
खुद मनुष्य ने अपनी भावी पीढ़ियों की जिंदगी को दांव पर लगा दिया है। दुनिया भर में चिंता की लकीरें गहरी होती जा रही हैं। सवाल ल्कुल साफ है- क्या हम खुद और अपनी आगे की पीढ़ियों को बिगड़ते पर्यावरण के असर से बचा सकते हैं? और जवाब भी उतना ही स्पष्ट- अगर हम अब भी नहीं संभले तो शायद बहुत देर हो जाएगी। चुनौती हर रोज ज्यादा बड़ी होती...
More »कोसी का कहर
कोसी का कहर अगस्त 2008 में बिहार के एक बड़े इलाके पर टूट पड़ा। कोसी को कभी बिहार का शोक कहा जाता था। जब यह नदी पूर्णिया जिले में बहती थी तब एक कहावत बड़ी चर्चित थी कि ‘जहर खाओ, न माहुर खाओ, मरना है तो पूर्णिया जाओ।’ इस नदी का यह स्वभाव था कि वह अपना रास्ता बदलती रहती थी। यह कब अपना रुख बदल लेगी, इसका अंदाजा लगाना...
More »कुपोषण-मछरी जल बीच मरत पियासी
कुपोषण के बारे में अक्सर मान लिया जाता है कि यह तो गरीब राज्यों का लक्षण है और अपेक्षाकृत समृद्ध राज्य कुपोषण को मिटाने की राह पर हैं। लेकिन सच्चाई इसके उलट है। कुपोषण की शिकार महिलाओं और औसत से कम वजन के बच्चों की एक बड़ी तादाद धनी माने जाने वाले राज्यों में मौजूद है और ध्यान रहे कि इन दोनों को मानव-विकास के निर्देशांक में बड़ा महत्वपूर्ण माना जाता...
More »नरेगा- बदले बदले से सरकार नजर आते हैं..
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पक्का भरोसा है कि नरेगा के आगे इस साल का सूखा पानी भरता नजर आएगा लेकिन जमीनी स्तर पर काम करने वाले बहुत से कार्यकर्ता नरेगा की कामयाबी को लेकर अब आशंकित हो उठे हैं, खासकर नरेगा के प्रावधानों में हालिया फेरबदल के बाद। इधर सूखे ने कुल २४६ जिलों को अपनी चपेट में ले लिया है उधर बहस इस बात पर सरगर्म हो रही है...
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