लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण में पूर्वी उत्तर प्रदेश में मतदान होना है। देश की सबसे चर्चित लोकसभा सीट बनारस में मतदान इसी दौर में होने जा रहा है। नरेंद्र मोदी और अरविंद केजरीवाल की चुनावी टक्कर ने इस लोकसभा सीट को बेहद दिलचस्प बना दिया है और इसका शोर पूरे पूर्वी उत्तर प्रदेश में गूंज रहा है। पूर्वी उत्तर प्रदेश की राजनीति में कुछ क्षेत्रीय दलों की भागीदारी हो...
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समाजवाद की संभावना थे सुनील- अरुण कुमार त्रिपाठी
सुनील भाई से जब भी मिला, जहां भी मिला उन्हें एक जैसा ही पाया. वे रंग बदलनेवाले और रंग दिखानेवाले समाजवादी नहीं थे. उन्हें देख कर और याद कर मुक्तिबोध की बौद्धिकों पर व्यंग्य में की कही गयी कविता की पंक्तियां पलट कर कहने का मन करता है. मुक्तिबोध ने आज के बुद्धिजीवियों के लिए कहा था- ‘उदरंभरि अनात्म बन गये, भूतों की शादी में कनात से तन गये, लिया बहुत...
More »इतने ही नैतिक हैं तो पहले सामने क्यों नहीं आए- कुमार प्रशांत
किताबें बोलती हैं, कोई ऐसा कहता है, तो हम इसे भाषा का विन्यास मानकर हंस लेते हैं। लेकिन अभी दो किताबें आई हैं, जो बोल रही हैं। पहली किताब संजय बारू की है, जो बता रही है कि कैसे और किसने बनाया-बिगाड़ा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को-द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर : मेकिंग ऐंड अनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह! फिर दूसरी किताब आई पूर्व कोयला सचिव पी सी पारेख की। यह करती है...
More »औरत के हक में नहीं- तस्लीमा नसरीन
लोकतंत्र बहुत ही सभ्य व्यवस्था है। लेकिन इस तंत्र में असभ्य और मूर्खों का भी ऐसा अबाध प्रवेश है कि कई बार लगता है, लोकतंत्र की स्थापना पर ही हमें रुक नहीं जाना चाहिए, बल्कि उसे और बेहतर करने के बारे में भी सोचना चाहिए। बचपन में मैंने दुर्गम गांवों के कुछ मतदाताओं को नाव चिह्न पर वोट देने जाते देखा था। वे सोचते थे कि नाव चिह्न पर वोट...
More »बचपन पर मंडराता अंधेरा- पत्रलेखा चटर्जी
नरेंद्र मोदी के बाल विवाह के मुद्दे की वजह से इस सामाजिक बुराई के मद्देनजर हमारे राजनीतिक वर्ग का अस्पष्ट रुख एक बार फिर सामने आया है। लेकिन भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के चारों ओर फैले चुनावी कोलाहल के माहौल में बाल विवाह पर सार्थक बहस का अभाव काफी खलने वाला है। भारत में राजनीतिक दल कन्याओं के अधिकारों पर जोर-शोर से बातें करते हैं। भाजपा...
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