दुनिया में बोली जाने वाली असंख्य भाषाओं में से सात ऐसी भाषाएं हैं जो खत्म होने के कगार पर पहुंच गई हैं। इनमें एक ऐसी भाषा भी है, जिसमें बेचने और खरीदने के लिए कोई शब्द ही नहीं है। संयुक्त राष्ट्र की ओर से किए गए अध्ययन में आशंका जताई गई है कि कई ऐसी भाषाएं हैं, जिनका अस्तित्व अप्रत्याशित रूप से संकट में है। एक अनुमान के मुताबिक ईसा...
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किसानों की उम्मीद पर फिरा पानी, आंधी और ओलावृष्टि से फसल तबाह
होली की खुशियां खत्म भी नहीं हुईं थीं कि रविवार को आंधी, ओलावृष्टि और बारिश ने किसानों को गम के आंसुओं में डुबो दिया। मथुरा जनपद के अलग-अलग क्षेत्रों में रुक-रुक कर हुई ओलावृष्टि से गेहूं की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। नौहझील क्षेत्र में सर्वाधिक नुकसान का अनुमान है। किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें हैं, किसानों को इस बार अच्छी फसल की उम्मीद थी। हलधर दाऊजी महाराज...
More »आदिवासी समाज का वह योद्धा-- रामचंद्र गुहा
जीवनी लिखने की विधा अपने यहां बहुत विकसित नहीं हो पाई है। हम जीवित लोगों की चापलूसी करना तो जानते हैं, पर गुजर चुके लोगों के बारे में अधिकार के साथ लिखने की अंतरदृष्टि विकसित नहीं कर पाए। अतीत से लेकर आज तक के नेताओं पर किताबें मिल जाएंगी, लेकिन उनमें से कुछ ही होंगी, जो साहित्य या पढ़ने लायक किताब होने की शर्त पूरी करें। गोखले पर बी आर...
More »उर्जा वन में नहीं अंकुरित हुए बीज, एक पौधा भी नहीं उगा, लाखों की राशि हुई बेकार
बैतूल। जंगलों के आसपास रहने वाले लोगों को जलाऊ लकड़ी मुहैया कराए जाने के लिए उर्जावन तैयार करने के नाम पर जिले में सरकारी राशि को पलीता लगाने का मामला सामने आया है। जिले के पश्चिम वन मंडल के अंतर्गत आने वाली 5 रेंजों में वन विभाग ने 28 उर्जावनों में विभिन्न प्रजातियों के पेड़ तैयार करने के लिए बीज खरीदकर बुवाई की थी लेकिन बमुश्किल आधा दर्जन स्थानों को...
More »जीने का अधिकार और पानी का प्रश्न-- रमेश सर्राफ धमोरा
जल के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। मनुष्य चांद से लेकर मंगल तक की सतह पर पानी तलाशने की कवायद में लगा है, ताकि वहां जीवन की संभावना तलाशी जा सके। पानी की महत्ता को हमारे पूर्वज भी अच्छी तरह जानते थे। जीवन के लिए इसकी आवश्यकता और उपयोगिता का हमारी तमाम प्राचीन पुस्तकों व धार्मिक कृतियों में व्यापक उल्लेख मिलता है। जल न हो तो...
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