सूखे राशन के प्रावधान के माध्यम से प्रवासी और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, सामुदायिक रसोई चलाने और 'वन नेशन वन राशन कार्ड' योजना के उचित कार्यान्वयन से संबंधित भारत के सर्वोच्च न्यायालय के हालिया फैसले (कृपया यहां और यहां क्लिक करें) हमारे लिए किसी भी तरह से आश्चर्यजनक नहीं है. ज्यां द्रेज और अनमोल सोमांची द्वारा कुछ अध्ययनों की हालिया समीक्षा, जो बहु-राज्य सर्वेक्षणों (या...
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चक्रवात यास से तबाह हुए पश्चिम बंगाल के किसान
-कारवां, हर तरफ चेतावनी थी. सायरन और माइक्रोफोन बज रहे थे. सुंदरबन के बाली द्वीप के अन्य निवासियों की तरह परितोष विश्वास के पास भी अपना घर छोड़ने के अलावा कोई चारा नहीं बचा था. वह अपने परिवार के साथ पास की एक चट्टान पर बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. "हमने पहले कभी ऐसा कुछ नहीं देखा था," उन्होंने कहा और बताया, "पानी ने एक घंटे में गांव को अपनी चपेट...
More »मनरेगा का उद्देश्य कभी नहीं रहा कि मजदूरों का जातीय आधार पर वर्गीकरण हो: ज्यां द्रेज
-डाउन टू अर्थ, केंद्र सरकार ने कुछ समय पहले मनरेगा भुगतान की प्रक्रिया में संशोधन किया है, जिसके चलते राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में मनरेगा मजदूरों को मजदूरी मिलने में काफी देरी हुई। यह देरी ऐसे समय में हुई जब कोविड-19 की दूसरी लहर देशभर में कहर ढा रही थी। डाउन टू अर्थ ने पिछले दो हफ्ते के दौरान देश के सबसे अधिक आबादी वाले पांच राज्यों में चल रहे...
More »नेशनल हाइवे पर छोटे ढाबों के रास्ते बंद, बड़ी प्राइवेट कंपनियों के खुले द्वार!
-गांव सवेरा, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के नए नियमों के अनुसार किसी भी नेशनल हाइवे और एक्सप्रेस-वे पर बने पेट्रोल पंप, ढाबा, रेस्टोरेंट, कनैक्टिंग रोड़ या फिर किसी भी तरह की अन्य प्राइवेट प्रोप्रटी के लिए एनएचएआई (नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया) से अनुमति लेनी होगी. जिसके लिए ढाबा मालिकों को फीस के तौर पर सरकार को एक मोटी रकम देनी होगी. 26 जून 2020 को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग...
More »शेयर बाजार एक आईना है- 40 सालों में कितना बदला भारतीय बिजनेस और इसमें क्या कमी है
-द प्रिंट, चालीस साल पहले सबसे बड़े 30 व्यावसायिक ‘घरानों’ की जो कंपनियां शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध थीं उनका कुल मूल्य 6,200 करोड़ रुपये था. उस समय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) इससे 28 गुना बड़ा (1.75 लाख करोड़ रु. के बराबर) था. ज़्यादातर कंपनियां जूट, चाय, सीमेंट, चीनी, इस्पात के उत्पाद और कपड़े जैसे ‘प्राथमिक’ उत्पादों का उत्पादन करती थीं. उसके बाद से नाटकीय बदलाव हुए हैं. आज नेशनल स्टॉक एक्सचेंज...
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