नवम्बर महीने की शुरुआत से दिल्ली और उत्तर भारत के एक बड़े हिस्से को धुएं और कुहासे के मेल से बने धुंधलके की एक मोटी परत ने घेर रखा है और इस बात पर तीखी बहसें हो रही हैं कि दिल्ली में वायु-प्रदूषण का स्तर किन कारणों से बढ़ रहा है। साल 2012 के जनवरी महीने में भारतीय सांख्यिकी संस्थान की ऋद्धिमा गुप्ता की रिपोर्ट आई और इस रिपोर्ट में कहा गया है कि देश...
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जलवायु संकट के बादल- अतुल कुमार सिंह
जनसत्ता 26 अक्टुबर, 2012: भारत समेत दुनिया के सामने दो सबसे अहम समस्याएं भुखमरी और जलवायु संकट हैं। ये दोनों ऐसे मुद्दे हैं जिनसे न केवल मानवता के भविष्य बल्कि पूरे जीव-जगत और अंतत: दुनिया के अस्तित्व का प्रश्न जुड़ा हुआ है। विश्व भर में इन मुद्दों पर खासी चर्चा और चिंताएं भी हैं। लेकिन इनसे निपटने के लिए जो उपाय सामने आ रहे हैं उनमें न तो मुकम्मलपन दिखता है और...
More »खतरा: बारिश में और देरी हुई तो पूरे साल रोना पड़ेगा
बारिश का इंतजार और मानसून की दगाबाजी हर साल की तरह इस बार भी जारी है। जुलाई में भी बारिश का इंतजार ही हो रहा है। इस बार पूरे भारत में सालाना औसत (163.5 मिली मीटर) से 29 प्रतिशत कम बारिश हुई है। जून के अंत में देश में सिर्फ एक मेट्रोलॉजिकल सब-डिवीजन में ही बरसात औसत से ज्यादा हुई है जबकि जून 2011 में 16 डिवीजन में बरसात ने यह...
More »आषाढ़ में सिर्फ चार दिन बाकी यूपी के खेतों में उड़ रही है धूल- विजय उपाध्याय
लखनऊ . बारिश कराने के लिए मशहूर अषाढ़ महीना बीतने में चार दिन बाकी है और उप्र के खेतों में धूल उड़ रही है। बड़े हिस्से में पानी की बूंद भी नही टपकी है। पिछले साल अषाढ़ में 169.7 मिमी वर्षा हुई जबकि इस बार अब तक महज 15.9 मिमी बारिश हुई है। राज्य के पूर्वी हिस्से में बेहद मामूली बारिश दर्ज की गई है। प्रदेश के लिए मानसून की...
More »कृषि उत्पादन नहीं, मूल्य बढ़ायें- भरत झुनझुनवाला
अर्थव्यवस्था में तीव्र विकास के बावजूद कृषि और किसानों की स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है. पिछले साठ वर्षो में प्रत्येक सरकार ने कृषि में सुधार का संकल्प लिया है, किंतु स्थिति बिगड़ती गयी है, जैसा कि आत्महत्या की बढ़ती संख्या से अनुमान लगता है. मूल कारण यह है कि सरकार का ध्यान कृषि उत्पादन में वृद्धि की ओर ज्यादा रहा है, मूल्यों में वृद्धि की ओर कम. मान्यता है कि...
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