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खाद्य सुरक्षा की शर्तें- रविशंकर

जनसत्ता 12 अप्रैल, 2013: हालांकि यूपीए सरकार की मंशा थी कि बजट सत्र में ही खाद्य सुरक्षा विधेयक को संसद से पास करा लिया जाए, पर ऐसा नहीं हो पाया। संसद की कार्यवाही बार-बार स्थगित होने से संशोधित विधेयक अब तक पेश नहीं हो सका है। अब इस विधेयक के बजट सत्र के अंतराल के बाद पेश होने की उम्मीद है। वास्तव में यह विधेयक यूपीए के 2009 के उस...

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खाद्य सुरक्षा बिल- कुछ बुनियादी बातें

संसद के मौजूदा(बजट) सत्र में आखिरकार खाद्य सुरक्षा बिल पर चर्चा होने जा रही है। यह बिल यूपीए सरकार ने साल 2011 में लोकसभा में पेश किया था। आहार और बाल-स्वास्थ्य के मुद्दे पर काम करने वाले विभिन्न संगठनों, स्वयंसेवी संस्थाओं और राज्यों द्वारा प्रस्तुत विविध आलोचनाओं के आलोक में इस बिल में कई और बदलाव किए जाने की संभावना है।यहां प्रस्तुत सामग्री में कोशिश की गई है कि भोजन का अधिकार बिल के बारे में जानकारी क्या-क्यों-कैसे-कौन...

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इन्कूलिसिव मीडिया फैलोशिप 2013 के परिणाम घोषित

हिन्दी और अंग्रेजी भाषा के आठ पत्रकारों का चयन विकासशील समाज अध्ययन पीठ(सीएसडीएस) द्वारा दी जाने वाली इन्कूलिसिव मीडिया फैलोशिप के लिए हुआ है। चयनित पत्रकार देश के छह राज्यों से हैं। खोजी और सार्थक पत्रकारिता की श्रेष्ठ परंपरा का निर्वाह करते हुए चयनित फैलो ग्रामीण समुदाय की चिन्ताओं और समस्याओं को जन-सामान्य के बीच लाने और उस दिशा में नीतिगत हस्तक्षेप की जमीन तैयार करने के लिए, उनके बीच कुछ समय बितायेंगे। फैलोशिप के अभ्यर्थियों का...

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भुखमरी और कुपोषण के बीच संसद की स्थायी समिति की नई रिपोर्ट

भुखमरी और कुपोषण को मिटाने के मामले में देश कौन से कदम उठाये, इस बारे में जारी बहस को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा बिल की समीक्षा के लिए बनी स्थायी समिति की रिपोर्ट ने नए सिरे से छेड़ दिया है। गौरतलब है कि रिकार्डतोड़ अन्न-उपार्जन और साल-दर साल बनी रहने वाली उच्च वृद्धि दर के बावजूद कुपोषण और भुखमरी को मिटाने के मामले में भारत का रिकार्ड संतोषजनक नहीं रहा है।...

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किसानों की बर्बादी की योजना- देविंदर शर्मा

इससे अधिक नुकसानदेह और कुछ नहीं हो सकता। चीनी से नियंत्रण हटाने की योजना है। इससे गन्ना उगाने वाले किसान शुगर मिलों की दया पर निर्भर हो जाएंगे। रंगराजन कमेटी द्वारा गन्ने के स्टेट एडवाइस्ड प्राइस (एसएपी) को खत्म करने के सुझाव के बाद अब किसानों को फेयर एंड रेमुनेरेटिव प्राइस (एफआरपी) पर निर्भर रहना होगा। एफआरपी का निर्धारण केंद्र सरकार करती है और यह राज्य सरकारों द्वारा तय किए जाने...

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