मौजूदा वित्ता वर्ष की पहली तिमाही के दौरान जीडीपी ग्रोथ की दर महज 4.4 फीसद रही है। इस बीच भारत का जीडीपी-कर्ज अनुपात घटकर 66 फीसद हो गया है। देश का चालू खाते का घाटा खतरनाक स्तरों पर बना हुआ है। इन सबके बीच महंगाई डायन ने एक बार फिर से सिर उठाना शुरू कर दिया है। महंगाई थामने की लगातार कोशिशों के बावजूद आरबीआइ ने अब भी इसके सामने हाथ खड़े कर...
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खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम से महज 10,000 करोड़ का बोझ: थॉमस
खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम से राजकोषीय घाटा तेजी से बढ़ने की आशंकाओं को खारिज करते हुए केन्द्रीय खाद्य मंत्री क़ेवी़ थॉमस ने कहा कि इससे अगले एक वर्ष के दौरान सरकारी खजाने पर केवल 10,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त सब्सिडी बोझ ही पड़ेगा।उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष 2013.14 के बजट में खाद्य सब्सिडी के लिये 90,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम अगले कुछ महीनों के दौरान लागू किया...
More »कठिन आर्थिक संकट से गुजर रहा है देश: प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज कहा कि रुपये के मूल्य में गिरावट और तेल के दामों में वृद्धि का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है और देश कठिन आर्थिक संकट से गुजर रहा है, जिसके लिए कुछ घरेलू कारक भी जिम्मेदार हैं। सिंह ने राज्यसभा में कहा इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि देश कठिन आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। यह बात सिंह ने...
More »मुक्त बाजार का दुश्चक्र- सुनील
जनसत्ता 27 अगस्त, 2013 : रुपया लुढ़कता जा रहा है। इसे रोकने की भारत सरकार और रिजर्व बैंक की सारी कोशिशें नाकाम होती जा रही हैं। चारों तरफ घबराहट फैल रही है। इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ रहा है। पेट्रोल सहित तमाम आयातित वस्तुएं महंगी होने से महंगाई का एक नया सिलसिला शुरू हो रहा है। एक तरह से हम महंगाई का आयात कर रहे हैं। इतना ही नहीं, विदेशी...
More »कभी स्वर्ग, आज वीरान!- हरिवंश
वेतन लाखों में हो गये. लेकिन वेतन बढ़ने से वास्तविक उत्पादन या आय पर क्या असर हुआ, इसे जांचने का कोई विश्वसनीय मेकेनिज्म नहीं है. अमेरिका के डेट्रायट शहर में यही हुआ. पेंशन का बोझ बढ़ता गया. रिटायर लोगों की पेंशन, नये नियुक्त लोगों की तनख्वाह से कई गुना अधिक. ऊपर से शहर की सरकार ने बाहर से कर्ज लेना जारी रखा. कर्ज अगर भोग-विलास के लिए लिया जाये, तो दुर्दशा...
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