आखिरी समाचार मिलने तक केरल की बाढ़ लगभग 400 लोगों को निगल चुकी है। करीब 10 लाख लोगों को इसके कारण बेघर होना पड़ा है और निजी व सरकारी संपत्तियों के नुकसान का आंकड़ा तो हजारों करोड़ में पहुंचेगा। एक बार जब बारिश थमेगी और राज्य सरकार अपनी अर्थव्यवस्था, इन्फ्रास्ट्रक्चर और जन-स्वास्थ्य को फिर से पटरी पर लाने का काम शुरू करेगी, तब उसे कहीं गंभीर समस्याओं का सामना करना...
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पत्रकारिता के शीर्ष कुलदीप नैयर-- नीरजा चौधरी
भारतीय पत्रकारिता के बड़े आधार-स्तंभों में से एक कुलदीप नैयर अब हमारे बीच नहीं रहे. मैं उन्हें भारतीय पत्रकारिता जगत का लिजेंड मानती हूं. मैं उनके काम करने के तरीके और उनकी पत्रकारिता को जितना नजदीक से जानती हूं, कह सकती हूं कि आज तकनीकी के इस दौर में भी कोई पत्रकार वैसा काम नहीं कर सकता. जिस तरीके से वे फैक्ट फाइंडिंग करते थे, उसमें कहीं भी कोई एकपक्षीय...
More »पीएम की बातें और देश के सवाल-- योगेन्द्र यादव
क्या लाल किले और चांदनी चौक में फासला बढ़ रहा है? पंद्रह अगस्त को लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री का भाषण सुनते वक्त यह सवाल मेरे जहन में कौंध रहा था. टीवी पर विपक्षी नेता और कई एंकर शिकायत कर रहे थे कि प्रधानमंत्री का भाषण बहुत राजनीतिक है. मुझे इसकी चिंता नहीं थी. स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री का भाषण राजनीतिक होता है, होना भी चाहिए. यह भाषण...
More »क्रांति जिससे आजादी की राह निकली-- मृदुला मुखर्जी
‘भारत छोड़ो' (क्विट इंडिया) के नारे के साथ 1942 में ‘अगस्त क्रांति' की शुरुआत हुई थी। इस आंदोलन में हर तबके के लोगों ने हिस्सा लिया। किसानों, महिलाओं, छात्रों, नौजवानों के साथ-साथ विभिन्न विचारधारा के लोगों ने इसमें शिरकत की और अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। वह दूसरे विश्व युद्ध का समय था और लोगों के लिए कठिन माहौल था। ब्रिटिश सरकार ने तमाम तरह के सख्त कानून थोप दिए थे...
More »क्रांति जिससे आजादी की राह निकली-- मृदुला मुखर्जी
‘भारत छोड़ो' (क्विट इंडिया) के नारे के साथ 1942 में ‘अगस्त क्रांति' की शुरुआत हुई थी। इस आंदोलन में हर तबके के लोगों ने हिस्सा लिया। किसानों, महिलाओं, छात्रों, नौजवानों के साथ-साथ विभिन्न विचारधारा के लोगों ने इसमें शिरकत की और अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। वह दूसरे विश्व युद्ध का समय था और लोगों के लिए कठिन माहौल था। ब्रिटिश सरकार ने तमाम तरह के सख्त कानून थोप दिए थे...
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