SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 2954

क्या किसान आंदोलन को ‘आहत भावनाओं’ की सियासत कर कमज़ोर करने की कोशिश चल रही है

-द वायर, धार्मिक ग्रंथ की ‘बेअदबी’ के नाम पर सिंघू बॉर्डर पर हुई दलित सिख लखबीर सिंह की हत्या को लेकर ढेर सारे सवाल उठ खड़े हुए हैं. पिछले दिनों हरियाणा सरकार ने मृतक लखबीर सिंह पर धारा 295 के तहत ‘बेअदबी’ का मामला भी दर्ज किया है, किसी विडियो क्लिप के वायरल होने की बात भी चल रही है, जहां घायल लखबीर किसी को बता रहा है कि उसे तीस हजार रुपये दिए गए थे-...

More »

गन्ने और धान की राजनीतिक अर्थव्यवस्था उत्तर प्रदेश के 2022 विधान सभा चुनावों के लिए अहम

-रूरल वॉइस, साल 2022 में उत्तर प्रदेश होने विधान सभा चुनावों के लिए पांच महीने से भी कम समय बचा है। राष्ट्रीय राजनीति को सबसे अधिक प्रभावित करने वाले राज्य  उत्तर प्रदेश के सिंहासन के लिए राजनीतिक दलों ने बड़ी लड़ाई के लिए कमर कसनी शुरू कर दी है । चुनाव के पहले अभी से ही राज्य में राजनीतिक महौल चुनाव गतिविधियों से भर गया है। किसान नेता केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ...

More »

बात बोलेगी: बिजली आ गयी है, लेकिन अर्द्ध-सत्य का अंधेरा कायम है!

-जनपथ, बिजली का संकट बिना कुछ किये ही टल गया। पूरा देश, भर उम्मीद था कि अब होगा अंधेरा और वो भी अनिश्चितकालीन। कोयला खत्म। आपूर्ति ठप। प्लांट बंद। खबरें शुरू। बहसें चालू। मंत्री और मंत्रालय सक्रिय। राज्य सरकारों व केंद्र सरकार के बीच सच-झूठ की चर्चाएं। आरोप-प्रत्यारोप के दौर। और अंत में निष्कर्ष- अंधेरे में होगा देश, दीवाली में दीये का सहारा, मैं नागिन तू सँपेरा जैसी तुकबंदी के साथ...

More »

क्या हमारे देश के किसान अपनी उपज एपीएमसी मंडियों में ही बेचते हैं?

जब तीन कृषि कानूनों में से एक, यानी कृषि उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020 (द फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट, 2020) को पिछले साल अधिनियमित किया गया था, तो इसके समर्थकों द्वारा यह तर्क दिया गया था कि कानून फसल कटाई के बाद किसानों को अपनी उपज (और व्यापारियों को उस उपज को खरीदने के लिए) को कृषि उपज मंडी समिति-एपीएमसी मंडियों...

More »

अनहेल्दी सीक्रेट्स - क्यों जरूरी है पीएम केयर्स फंड की जांच

-कारवां, आजादी के बाद देश के सभी बड़े शहरों में पाकिस्तान से आने वाले हिंदू और सिख शरणार्थियों की संख्या हर बीतते दिन बढ़ रही थी. जवाहरलाल नेहरू उस समय देश की अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री थे और उनके आधिकारिक आवास तीन मूर्ति भवन में भी लोगों की भीड़ लगी रहती. नेहरू के निजी सचिव रहे एम. ओ. मथाई अपनी किताब रेमनिसंस ऑफ दि नेहरू ऐज में नेहरू की एक आदत...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close