गोपाल माहेश्वरी, डही (धार)। सालभर की पढ़ाई और रहने-खाने का खर्च शहरों के आवासीय विद्यालयों में हजारों-लाखों रुपए में होता है, लेकिन धार जिले के डही कस्बे से 18 किमी दूर ककराना के राणी काजल जीवन शाला की बात अलग है। यहां आदिवासी मजदूरों के बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। एक बच्चे की साल भर की पढ़ाई और रहने-खाने के बदले अभिभावकों को फीस के बदले डेढ़ क्विंटल अनाज और...
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बढ़ती महामारियों के दौर में-- डा. ए के अरुण
विगत कुछ वर्षों से विवादास्पद व खतरनाक किस्म के वायरस से होनेवाली बीमारियों के महामारी बनने की चर्चा ज्यादा हो रही है. कहा जा रहा है कि विगत 30 वर्षों में 30 से ज्यादा नये-पुराने वायरस घातक बन कर मानव दुनिया के लिए खतरा बन चुके हैं. इन दिनों ‘जीका' वायरस चर्चा में है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने वैसे तो इस वायरस को लेकर इमरजेंसी एलर्ट जारी किया था,...
More »एसी वाली कॉरपोरेट लाइफ छोड़ बनी किसान-- रचना प्रियदर्शिनी
तेजी से औद्योगिकीकरण की ओर बढ़ते इस मशीनी युग में जहां गांवों की अधिकतर आबादी बेहतर जीवन और सुख-सुविधाओं की तलाश में शहरों की ओर पलायन कर रही है, वहीं एक बेटी ऐसी भी है, जिसने कॉरपोरेट लाइफ की अच्छी-खासी जॉब को ठुकरा कर गांव में खेती करने के लिए वापस लौट आयी. इस बेटी का नाम है-अंकिता कुमावत. जानते हैं अंकिता के इस निर्णय की आखिर वजह क्या ...
More »बीपीएल से नाम कटा तो कई योजनाओं से हो जाएंगे वंचित
शत्रुघन केशरवानी, सागर। गरीब बनकर सरकारी योजनाओं का लाभ लेने वाले संपन्न् लोगों के नाम अब जल्द से जल्द बीपीएल की सूची से कटने वाले हैं। बीपीएल सूची से नाम कटने के अलावा ऐसे फर्जी पात्र लोगों को सरकार की दूसरी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल सकेगा, जिससे फर्जी बीपीएल कार्डधारियों में हड़कंप मच गया है। प्रदेश में सबसे ज्यादा सागर जिले के लोग सरकारी राशन दुकानों से सस्ता...
More »जहां ‘मिस्टर’ से ‘महात्मा’ बने गांधी
जिस समय मोहनदास करमचंद गांधी दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद, नस्लभेद और उपनिवेशवादी शोषण के विरुद्ध सामाजिक आंदोलन चला रहे थे, उसी समयावधि में भारत में एक समाज सुधारक अपना सर्वस्व त्याग कर विदेशी शिक्षा, अस्पृश्यता, असमानता, जातिवाद, अशिक्षा, राजनीतिक पराधीनता, अंधविश्वास, पाखंड आदि के विरुद्ध सामाजिक क्रांति कर रहा था। उनका नाम था- महात्मा मुंशीराम (संन्यास नाम स्वामी श्रद्धानन्द), जो हरिद्वार के निकट कांगड़ी नामक गांव में 1902 में गंगा...
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