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गुजरात सरकार का तौकते राहत पैकेज प्रवासी मछुआरों की वास्तविकताओं से परे है

-द वायर, मई के महीने में भारत के कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से गुजरते तौकते चक्रवात ने गुजरात में तबाही मचा दी थी. राज्य के मत्स्य व्यवसाय को इसके चलते अनुमानतः 160 करोड़ रुपये का भारी नुकसान झेलना पड़ा. हालांकि विशेषज्ञों का अनुमान है कि असल नुकसान इससे कई गुना ज्यादा है. गुजरात सरकार द्वारा मछुआरों के साथ-साथ उनकी नावों एवं उपकरणों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए 105 करोड़ रुपये का...

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चालू खरीफ सीजन में रिकार्ड 15.05 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन का अनुमान तिहलन और मोटे अनाजों का उत्पादन घटेगा

-रूरल वॉइस, चालू खरीफ सीजन 2021-22 में रिकार्ड 15.05 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन होने का अनुमान है। लेकिन मोटे अनाजों और तिलहनों का उत्पादन पिछले साल से कम रहेगा। वहीं दालों का उत्पादन पिछले खरीफ सीजन से अधिक रहने का अनुमान है। कृषि मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी किए गये खरीफ सीजन के उत्पादन के पहले आरंभिक अनुमानों में यह जानकारी दी गई है। मंत्रालय का कहना है कि खरीफ सीजन...

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क्या मजदूरी करके किसान होगा खुशहाल?

-डाउन टू अर्थ, अगले साल यानी 2022 में देश को किसानों की आय को 2015-2016 की आय से दोगुनी करने का लक्ष्य हासिल करना है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के 77वें दौर के ‘परिवारों की भूमि व पशुधन संपत्ति और खेती पर निर्भर परिवारों की स्थिति का आकलन ’ नामक सर्वेक्षण से कुछ संकेत मिलते हैं कि यह लक्ष्य हासिल किया भी जा सकता है अथवा नहीं। इस...

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आलू की लगातार गिरती कीमतों ने एक बार फिर उत्तर प्रदेश के किसानों को किया परेशान

-गांव कनेक्शन, उत्तर प्रदेश का फर्रुखाबाद जिला आलू के उच्च उत्पादन के लिए जाना जाता है। आलू के चिप्स बनाने वाली कई बहुराष्ट्रीय खाद्य कंपनियां यहां से आलू खरीदती हैं और किसानों को आमतौर पर उनकी उपज का उचित मूल्य मिलता है। लेकिन वर्तमान में जिन गांवों में आलू की खेती मुख्य आधार है, वहां मातम छाया हुआ है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आलू की कीमत गिर गई है। पिछला साल...

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दलहन के पारंपरिक किसानों का समर्थन करने से मिल सकती है दालों की आत्मनिर्भरता

-डाउन टू अर्थ, दालों की जमाखोरी हमेशा महंगाई लेकर आती है। दालों की महंगाई जमाखोरी का एक संकेतक बन गई है। शायद इसी भय से बीच-बीच में कानून में फेरबदल और बदलाव होते हैं। स्वतंत्र व कानून मामलों की शोधार्थी व नीति विशेषज्ञ शालिनी भुटानी का यह आलेख इन्हीं परेशानियों की तहें खोल रहा है :  भारत सरकार स्पष्ट रूप से जमाखोरी को लेकर चिंतित है, जो ऐसे समय में दालों की...

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