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विद्रोह की जमीन पर एक गांधीवादी- रामचंद्र गुहा

भारत के तीन ही राज्य हैं, जहां मेरा आज तक जाना नहीं हुआ। नगालैंड इनमें से एक है। अगली फरवरी में एक सामाजिक कार्यकर्ता नटवर ठक्कर के निमंत्रण पर वहां जाने का कार्यक्रम बना था, जिनके साथ पत्राचार तो काफी रहा, लेकिन मुलाकात कभी नहीं हुई। 1932 में पश्चिमी भारत में जन्मे नटवर भाई प्रख्यात गांधीवादी और देशभक्त काका साहब कालेलकर के संपर्क में आए और युवावस्था में ही अपना...

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प्रदूषण की राजधानी-- शशिशेखर

इस साल की शुरुआत में जब फ्रांस के राष्ट्रपति इमैन्युअल मैक्रॉन बीजिंग पहुंचे, तो साफ नीला आसमान देखकर उनके मुंह से बेसाख्ता निकल पड़ा- मैंने ऐसा खूबसूरत बीजिंग पहले कभी नहीं देखा था। मैक्रॉन सही कह रहे थे। दस साल पहले इस शहर की आबोहवा इतनी खराब थी कि सूरज सिर्फ एक धुंधले पिंड के तौर पर दिखाई पड़ता था। याद आया, 2008 में जब मैं पहली बार बीजिंग...

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45 परिवारों की जिंदगी झोपड़ी में, 55 वर्षों में न अनाज मिला

रामगढ़ शहर से 15 किलोमीटर दूर कुजू-घाटो मुख्य सड़क से उतरने पर बमुश्किल 200 मीटर दूर कुंदरिया बस्ती का मल्हार टोला़ इस टोले तक जाने के लिए पथरीली संकरी सड़क, जंगल के बीच एक ऊंचे टीले पर प्लास्टिक से बनी दर्जनों झोपड़िया़ं जंगल की सूखी झाड़ियों की घेराबंदी कर बांस-बल्ली में प्लास्टिक लगा कर लाेगाें ने 40 से 50 झोपड़ी बना लिये़ ये कोई खानाबदोश नहीं, बल्कि अपने झारखंड...

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आर्थिक उन्नति में सब हों हिस्सेदार-- कार्तिक मुरलीधरन

भारत में केंद्र और राज्य सरकार अपने लोक-कल्याण कार्यक्रमों पर काफी ज्यादा खर्च करती हैं, लेकिन इन कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में कई कमजोरियां हैं। प्रशासनिक लागत, लीकेज (रिसाव) और लाभार्थियों की पहचान में गलतियों को जोड़कर सरकारी आंकड़े खुद बताते हैं कि योजनाओं पर खर्च होने वाली रकम का बड़ा हिस्सा लाभार्थियों तक नहीं पहुंचता है। कई प्रमुख अर्थशास्त्रियों ने यह सुझाव दिया है कि भारत में गरीबी कम करने की...

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रिपोर्ट को नहीं अपने धुएं को देखें-- अनिल प्रकाश जोशी

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के अंतर-सरकारी पैनल (आईपीसीसी) की रिपोर्ट उस समय आई है, जब हमारे सिर पर कई खतरे मंडरा रहे हैं। दिल्ली का बढ़ता वायु प्रदूषण फिर एक बार हमारी नीतियों पर सवाल खड़े कर रहा है। हरियाणा, पंजाब की पराली का धुआं फिर पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का गला घोंटने को तैयार है। पराली को जलाने की बजाय अन्य उपयोगों में लाने की कवायद असफल होती...

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