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बिहार का एक बैंक जहां कर्ज में मिलता है अनाज- सीटू तिवारी

बिहार की राजधानी पटना से सटे सुंदरपुर की गहनी मांझी को अब पेट भर भात खाने को मिल जाता है। जवानी की न जाने कितनी रातें खाली पेट गुजारने के बाद बुढ़ापे में उन्हें पेट भर खाना नसीब हो रहा है। गहनी का भाग्य अनाज बैंक की वजह से ही जागा है। अनाज बैंक यानी वह बैंक जहां अनाज का लेन देन होता है। इस बैंक से अनाज उधार लिया जा...

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जनगणना जारी : 4 लाख परिवार कचरा बीनकर और 6.68 लाख परिवार भीख मांगकर करते हैं गुजारा

नयी दिल्ली : 4.08 लाख परिवार कचरा बीनकर और 6.68 लाख परिवार भीख मांगकर अपना घर चला रहे हैं. इस बात का पता चला कि सरकार की ओर से बाज जारी जनगणना रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है. देश के सिर्फ 4.6 प्रतिशत ग्रामीण परिवार आयकर देते हैं जबकि वेतनभोगी ग्रामीण परिवारों की संख्या 10 प्रतिशत है. यह बात आज पिछले आठ दशक में पहली बार जारी सामाजिक आर्थिक...

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ज़हरीली शराब: 'बेवड़े नहीं परिवार के पालनहार थे'-- सुशांत एस मोहन

"बेवड़े थे, मर गए ! कहना आसान है लेकिन मालवाणी की गलियों में मरने वाले कुछ लोग बेवड़े नहीं थे बल्कि 6 लोगों के परिवार के पालनहार थे." ये गुस्से में कहती हैं इन्सावाड़ी की 30 वर्षीया सुवर्णा. इन्सावाड़ी, लक्ष्मी नगर, खोडरे ये उन छोटी छोटी कॉलोनियों के नाम हैं जिनमें मुंबई का मलवाणी इलाका बंटा हुआ है और जहां बीते एक हफ़्ते में 102 लोग ज़हरीली शराब के कारण अपनी जान...

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ग्रामीण इलाकों में एससी-एसटी के एक चौथाई परिवार निरक्षर

देश के ग्रामीण इलाके में अनुसूचित जाति और जनजाति के तकरीबन एक चौथाई परिवार निरक्षर हैं। ग्रामीण इलाके के अन्य परिवारों की तुलना में यह संख्या लगभग डेढ़ से दो गुनी ज्यादा है।(देखें नीचे दी गई लिंक) देश के अलग-अलग सामाजिक वर्गों के बीच मौजूद रोजगार और बेरोजगारी की स्थिति पर केंद्रित एनएसएसओ की नई रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के ग्रामीण इलाके में 26.6 प्रतिशत एसटी एवं 23...

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उदारीकरण में पिसती ग्रामीण अर्थव्यवस्था- सुषमा वर्मा

विश्व बैंक की प्रबंध निदेशक क्रिस्टीना लेगार्ड ने हाल ही में रहस्योद्घाटन किया है कि भारत के अरबपतियों की दौलत पिछले 15 बरस में बढ़कर 12 गुना हो गई है। गौरतलब है कि यह वही दौर है जब भारत में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत हुए चंद साल ही हुए थे। उदारीकरण के दो दशक बाद शहरी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के बीच का फासला लगातार बढ़ता ही नहीं जा रहा बल्कि...

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