क्या सरकार तकनीकी नुक्तों की आड़ में खाद्य सुरक्षा कानून से जुड़ी अपनी जिम्मेदारियों से बचना चाहती है ? इस कानून के क्रियान्वयन के लिए संघर्ष करने वाले नागरिक संगठनों ने ऐसी ही आशंका जतायी है। नागरिक संगठनों को आशंका है कि समाज के सबसे गरीब तबकों को खाद्य-सुरक्षा प्रदान करने के लिए जारी अंत्योदय अन्न योजना को सरकार ने पीडीएस कंट्रोल आर्डर के जरिए निशाना बनाया है। पीडीएस कंट्रोल आर्डर में कहा गया है कि मौत या फिर पलायन की...
More »SEARCH RESULT
अस्तित्व बचाने को जूझ रहीं "सभ्यता की जननी"
हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। जिनके आंगन में हजारों वर्षों से मानव सभ्यता फली-फूली, वे ही अपना अस्तित्व" बचाने को संघर्ष कर रहीं हैं। "सभ्यता की जननी" नदियों की हकीकत आज कुछ ऐसी ही है। जो हाल गंगा-यमुना का है वैसी पीड़ा में देश की 275 नदियां हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि जीवनदायिनी नदियों की हालत सुधरने के बजाय बदतर हो रही है। इनको निर्मल और अविरल बनाने की राह...
More »गांवों में छुपी भुखमरी पर एक नजर - एनएसएसओ की रिपोर्ट
देश के चौदह बड़े राज्यों के ग्रामीण इलाके में लोगों को रोजाना 2400 किलोकैलोरी का भोजन भी हासिल नहीं है और गुजरात के ग्रामीण अंचल प्रति व्यक्ति प्रतिदिन कैलोरी की खपत के मामले में सबसे पीछे हैं। बीते अक्तूबर में प्रकाशित नेशनल सैम्पल सर्वे की एक रिपोर्ट से खुलासा होता है कि हरियाणा, पंजाब और राजस्थान को छोड़कर अन्य सभी 14 बड़े राज्यों के ग्रामीण अंचलों में लोगों को प्रति...
More »प्रचंड गरमी पर उबलती बहस- इला भट्ट
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि विश्व, विशेष रूप से भारत, गरीबी के मुद्दे पर एक साथ नहीं आया है, जैसा कि यह जलवायु परिवर्तन पर एक साथ आया है. ये दोनों आपस में जुड़े हुए हैं. इसलिए, मैं भारत सरकार से आग्रह करूंगी कि देश का आइएनडीसी तैयार करते समय इसका ध्यान रखे कि क्या हमारे आइएनडीसी गरीबी को कम करने की दृष्टि से कार्बन उत्सजर्न को कम करने के लिए...
More »आदिवासियों, किसानों की जमीन बचाने से हो शुरुआत- सच्चिदानंद सिन्हा
बुजुर्ग समाजवादी चिंतक सच्चिदानंद सिन्हा के लेख व भाषण हम समय-समय पर छापते रहते हैं, जिनमें वह बार-बार चिह्न्ति करते हैं कि पर्यावरण और प्रकृति के विनाश के लिए अगर कोई जिम्मेदार है, तो वो है औद्योगीकरण और उपभोग आधारित अर्थव्यवस्था. और अगर इनसान नहीं चेता, तो इसी की वजह एक दिन वह खुद भी नष्ट हो जायेगा. एक और क्षेत्र उनकी चिंता में स्थायी रूप से रहता है कि अब...
More »