यह देखना आश्चर्यजनक लगता है कि ऐतिहासिक जनसमर्थन से सत्ता में आई मोदी सरकार कितनी तेजी से अपना आधार गंवाती जा रही है। महज 15 माह पहले मई 2014 में 31.5 प्रतिशत पॉपुलर वोट के साथ यह सरकार सत्ता में आई थी। इसके बावजूद कॉर्पोरेट जगत की कद्दावर हस्तियों, दक्षिणपंथी चिंतकों, स्तंभकारों, बुद्धिजीवियों, जिनमें से कइयों ने मोदी सरकार में भरोसा जताया था और गर्मजोशी से उसका स्वागत किया था,...
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जनगणना से मिलते संकेत- अरविन्द मोहन
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने जिस तरह जनगणना के जातिवार आंकड़ों के बारे में तत्काल सफाई दी और उसे लगभग ठंडे बस्ते में डाल दिया, उसके पीछे बड़ा कारण बिहार विधानसभा का चुनाव था। अब बिहार में जातिवार जनगणना के आंकड़ों की मांग बड़ा चुनावी मुद्दा बन गई है। कई लोग यह भी कहने लगे हैं कि जरूरी नहीं कि जातिवार आंकड़ों की मांग लालू-नीतीश की जोड़ी को फायदा पहुंचाए और...
More »जमीन का भी राष्ट्रीयकरण हो- शिवदान सिंह
जमीन अधिग्रहण विधेयक जैसे अहम मसले पर मोदी सरकार की दुविधा साफ देखी जा सकती है। गुलामी के प्रतीक 1894 के भूमि अधिग्रहण कानून की जगह यूपीए सरकार ने जो नया कानून बनाया था, उसे भाजपा का भी समर्थन मिला था। लेकिन सत्ता में आने के बाद वह इसे बदलना चाहती है। पर सवाल है कि क्या विकास को गति देने की राह में भूमि अधिग्रहण कानून सबसे बड़ा रोड़ा...
More »पीछे हटने को तैयार है मोदी सरकार? - परंजॉय गुहा ठाकुरता
यह तो खैर पहले से ही अनुमान लगाया जा रहा था कि संसद का मानसून सत्र न केवल हंगामाखेज रहेगा, बल्कि वह पूरी तरह से 'धुल" भी सकता है। अब जब ऐसा वस्तुत: होता नजर आ रहा है तो यह किसी के लिए भी अप्रत्याशित नहीं है। सवाल यही था कि क्या इसके बाद मोदी सरकार अपनी नीतियों में बुनियादी बदलाव लाने को मजबूर होगी। संसद में विधायी कार्य ठप...
More »वैश्विक संकट से लड़ने की रणनीति- भरत झुनझुनवाला
पिछले माह में विश्व अर्थव्यवस्था की तसवीर बदल गयी है. पहले ग्रीस (यूनान) का संकट आया. ग्रीस ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से लिये डेढ़ अरब डॉलर के ऋण का रिपेमेंट नहीं किया. आनेवाले समय में लगभग दस अरब डॉलर के ऋण का रिपेमेंट ड्यू होने को है, जिसका पेमेंट भी वह देश नहीं कर पायेगा. फिलहाल ग्रीस तथा यूरोपीय यूनियन के बीच समझौता हो गया है. यह समझौता टिकाउ नहीं होगा,...
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