पंचायत शासन की सबसे निचली इकाई हैं. सरकार गांवों की बेहतरी के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाएं चला रही है. लेकिन आज भी देश की अधिकतर पंचायतें सूचना क्रांति के इस दौर में भी सरकार की योजनाओं की जानकारी प्राप्त करने के लिए बाबुओं या पंचायत प्रतिनिधियों पर निर्भर है. इन्हीं सब लोगों को सही सूचना मुहैया कराने और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करने का बीड़ा उठाया है डिजिटल फाउंडेशन...
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देश में वस्तुओं की तुलना में सेवाएं ज्यादा महंगी: सर्वे
नयी दिल्ली: देश में तेजी से बढती महंगाई से परेशान मध्यम वर्ग के लोगों की जेब वस्तुओं के मुकाबले शिक्षा, इलाज, परिवहन जैसी सेवाओं की महंगाई के कारण ज्यादा ढीली हो रही है. उद्योग मंडल एसोचैम के एक अध्ययन के मुताबिक बुनियादी सेवाओं के मूल्यों में सालाना आधार पर कम-से-कम 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. जिससे लागत वृद्धि के मामले में वस्तुओं को सेवाओं से पीछे छोड दिया है. अध्ययन...
More »बागवानी की सब्जियां मुरझाई, वाइरस और फंगस का प्रकोप
वीरेंद्र भट्ट, पेटलावद। इस वर्ष मिर्च, करेला, भिंडी, तुरई, चौलाई आदि सब्जियों में वाइरस और फंगस का भंयकर प्रकोप हुआ है। खेत में इन फसलों के खड़े पौधे मुरझा कर काले पड़ गए हैं। महंगे फंगीसाइड व अन्य वाइरस नियंत्रक कीटनाशक छिड़कने के बाद भी समस्या का कोई हल नहीं निकल रहा है। कर्ज से परेशान किसान फसल को उखाड़ने को मजबूर हैं। भारी पड़ रही आधुनिक खेती। पेटलावद क्षेत्र नकद फसल...
More »खेती की सुध कौन लेगा- धर्मेन्द्रपाल सिंह
जनसत्ता 1 अगस्त, 2014 : मौसम विभाग दावा कर रहा है कि वर्षा सामान्य से केवल दस प्रतिशत कम रहेगी। लेकिन बुआई का कीमती समय निकल जाने की भरपाई कैसे होगी, इसका जवाब उसके पास नहीं है। कृषि मंत्रालय ने एक जून से सत्रह जुलाई के बीच देश भर में धान, दलहन, सोयाबीन, कपास, मूंगफली आदि की बुआई का जो रकबा जारी किया है उसे देख कर लगता है कि इस...
More »यूपी में समाजवादी राजनीति का पतन - एमजे अकबर
जब आप आग से खेलते हैं तो निश्चित ही एक समय ऐसा आता है, जब आग आपके साथ खेलने लग जाती है। मुलायम सिंह यादव ने अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत डॉ. राम मनोहर लोहिया के शिष्य के तौर पर की थी, जिन्होंने जाति को भारतीय समाज के महत्वपूर्ण वर्गों के आर्थिक सशक्तीकरण के लिए जोड़ने वाली आंतरिक व्यवस्था के तौर पर स्वीकार किया था। यदि हम इसे आर्थिक और...
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