मध्यप्रदेश के होशंगाबाद शहर से कुछ ही दूरी पर है टाइटस फार्म। होशंगाबाद भोपाल सड़क मार्ग पर नर्मदा नदी के तट पर स्थित इस इलाके में प्राकृतिक खेती होती है जोकि जमीन की जुताई किए बगैर की जाती है। इस इलाके में फसल के अवशेषों को जलाने के बजाय उससे भूमि ढकाव करते हैं, जिससे खेत में नमी रहती है और जल संचय होता है। उसमें पनपने वाले केंचुए और...
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छत्तीसगढ़ की परंपरागत उतेरा खेती -बाबा मायाराम
छत्तीसगढ़ के कोटा विकासखंड का गांव सेमरिया। इस गांव के किसान फेंकूराम गंधर्व और संतोषी बाई ने उतेरा खेती विधि से फसल उगाई है। अभी उनके खेत में बटरी की फसल लहलहा रही है। फेंकूराम और संतोषी की तरह ही दानोखार, फुलवारीपारा, करहीकछार, सेमरिया के किसान भी फसल उगाने के लिए उतेरा खेती विधि का प्रयोग करते हैं. उतेरा खेती विधि में एक फसल कटने से पहले दूसरी फसल को बोया...
More »जंगलों की विरासत सहेजते आदिवासी - बाबा मायाराम
छत्तीसगढ़ के मैकल पहाड़ की तलहटी में बसे आदिवासी वन अधिकार पाने के लिए कोशिश कर रहे हैं। उनकी उम्मीदें राज्य में नई सरकार बनने से बढ़ गई हैं, जो स्वयं भी वन अधिकार देने की प्रक्रिया चला रही है। गांवों में जगह-जगह आदिवासी सामुदायिक वन अधिकार के लिए दावा कर रहे है। हाल ही मैंने बिलासपुर जिले के करपिहा,जोगीपुर,बैगापारा, मानपुर, सरईपाली आदि कई गांवों का दौरा किया, जहां वन...
More »कमार आदिवासियों की देसी खेती-- बाबा मायाराम
छत्तीसगढ़ के राजिम-नवापारा में मुझे कुछ समय पहले जाने का मौका मिला। वहां सामाजिक कार्यकर्ता रामगुलाम सिन्हा रहते हैं। उन्होंने मुझे उनकी प्रेरक संस्था के काम को देखने के लिए बुलाया था। वे गरियाबंद के कमार आदिवासियों के बीच में लम्बे समय से काम कर रहे हैं। कमार, आदिम जनजातियों में एक हैं। जो अब भी उनकी पारंपरिक जीवनशैली के करीब हैं और निर्धन हैं। यह आदिवासी गरियाबंद, छुरा और...
More »किसानी का तीर्थ बनता तिउसा गांव --- बाबा मायाराम
महाराष्ट्र का एक गांव है तिउसा। यवतमाल से सोलह किलोमीटर दूर। यह गांव किसानों के लिए तीर्थ बन गया है। तीर्थ जहां कुछ अच्छाई है, किसान जहां अपना भविष्य देख रहे हैं। यहां बड़ी संख्या में किसान आ रहे हैं। खेती-किसानी की बारीकियां सीख रहे हैं। यहां के प्रयोगधर्मी किसान सुभाष शर्मा कई मायने में अनूठी खेती कर रहे हैं, जिसे वे सजीव खेती कहते हैं। हाल ही मैं अपने कुछ...
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