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नए कीटनाशक प्रबंधन विधेयक से पर्यावरण और जनता को नुकसान, कारोबारियों को फायदा

-कारवां, महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में 6 अगस्त 2021 की रात 42 साल के एक किसान की कीटनाशक जहर से मौत हो गई थी. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, विनोद मसराम चव्हाण अपनी कपास की फसल को घातक गुलाबी बॉलवर्म से बचाने के लिए कीटनाशक नुवाक्रॉन का छिड़काव करते समय उसके संपर्क में आ गए थे. कीटनाशक में मोनोक्रोटोफोस होता है जो एक जहरीला कंपाउंड है. यह अंतरराष्ट्रीय...

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केंद्रीय बजट 2022-23 में पूंजीगत खर्च बढ़ाने के पीछे का सच

-न्यूजक्लिक, वित्त मंत्री सुश्री निर्मला सीतारमण का केंद्रीय बजट 2022-23 एक ही जुनून (obsession) पर आधारित है। यह जुनून बड़े-बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में कैपिटल एक्सपेंडिचर (कैपेक्स) बढ़ाने का है। धारणा यह है कि इस तरह के big-ticket वाले बुनियादी ढांचे के खर्च से अतिरिक्त मांग पैदा होगी और निजी निवेश का खुद ही प्रवेश होगा, और इस तरह विकास को बढ़ावा मिलेगा।  न्यूज़क्लिक ने पूर्व वित्त सचिव श्री एस.पी. शुक्ला से केंद्रीय...

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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की फंडिंग में कटौती से प्रभावित हो सकते हैं फसल के खराब होने की मार झेल रहे किसान

18 फरवरी 2016 को, भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का शुभारंभ किया. इसके लॉन्च के बाद, पीएमएफबीवाई को खरीफ 2016 के दौरान 21 राज्यों द्वारा लागू किया गया था, जबकि 2016-17 के रबी सीजन में 23 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों ने इस योजना को लागू किया. केंद्र सरकार ने 2016 के खरीफ सीजन में बेमौसम और खराब मौसम के कारण किसानों को...

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39.44 लाख करोड़ के बजट में आम लोगों को कोई राहत नहीं

-रूरल वॉइस, वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 39.44 लाख करोड़ के बजट में आम लोगों को कोई राहत नहीं, इंडस्ट्री के लिए भी प्रावधान थोड़े वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को पेश किए गए वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में इनकम टैक्स दर या स्लैब से संबंधित प्रावधानों में कोई बदलाव नहीं किया है। महामारी के दौरान वर्क फ्रॉम होम को देखते हुए स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा 50,000 रुपये से...

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केंद्र सरकार को अपना वायदा याद दिलाने के लिए देशभर में सड़कों पर उतरे किसान

-न्यूजक्लिक, संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर 31 जनवरी को देश भर में किसानों ने "विश्वासघात दिवस" मनाया और जिला और तहसील स्तर पर बड़े रोष प्रदर्शन आयोजित किए। मोर्चे से जुड़े सभी किसान संगठनों ने इसमें भागीदारी की है। किसान संगठनों ने दावा किया कि यह कार्यक्रम देश के कम से कम 500 जिलों में आयोजित किया गया है। जिसमें बड़ी सभाएं और जुलूस शामिल थे, जहां प्रदर्शनकारियों ने जिला...

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