-न्यूजलॉन्ड्री, न्याय की पूरी प्रक्रिया से गुजरे बिना, केवल पुलिस द्वारा होने वाले एनकाउंटर, गैर-न्यायिक या न्यायेतर हत्याएं कही जाती हैं. भारत में एनकाउंटर कोई हाल के वर्षों की घटनाएं नहीं हैं. पुलिस फायरिंग या अदालत ले जाते समय या किसी और परिस्थिति में पुलिस के हाथों ऐसी हत्याएं होती रही हैं. जिन्हें बाद में एनकाउंटर कहा गया. हालांकि पहले पुलिस फायरिंग से होने वाली ज्यादातर मौतें “अशांत” या संघर्षरत, मसलन...
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नोटबंदी के 5 साल बाद, कैश लेन-देन में कमी आई है लेकिन खत्म नहीं हुआः सर्वे में खुलासा
-द प्रिंट, एक कम्युनिटी प्लेटफॉर्म लोकल सर्किल्से के सर्वे में पता चला है कि नोटबंदी के पांच साल बाद भी लेनदेन में कैश की प्रमुख भूमिका है, हालांकि पिछले कुछ सालों में नकदी के उपयोग में गिरावट आई है. सर्वेक्षण में लोकल सर्किल्स प्लेटफॉर्म के साथ रजिस्टर्ड 388 जिलों के 36,000 लोगों की प्रतिक्रियाएं ली गईं, जिनमें से 44 प्रतिशत टियर 1 जिलों से, 33 प्रतिशत टियर 2 जिलों से और 23...
More »कॉप-26: वनों से भरपूर भारत ग्लासगो घोषणा-पत्र से पीछे क्यों हटा?
-डाउन टू अर्थ, दुनिया के वनों से भरपूर शीर्ष दस देशों में शामिल भारत ने जलवायु परिवर्तन पर चल रहे संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन, कॉप-26 में उस घोषणा-पत्र से दूरी बनाए रखी, जिसमें सौ से ज्यादा देशों के नेताओं ने वनों को बचाने का संकल्प लिया गया। यह सम्मेलन स्कॉटलैंड के ग्लासगो में चल रहा है। एक भारतीय प्रतिनिधि के मुताबिक, भारत ने इस घोषणा-पत्र के तैयार मसौदे में आधारभूत संरचनात्मक विकास...
More »किसान आंदोलन: दायरा बढ़ाकर राष्ट्रीय मंच बनाने की जरूरत
-रूरल वॉइस, किसान नेता राकेश टिकैत ने कुछ महीने पहले कहा था कि अगर उनकी मांगों को नहीं माना गया तो साल 2024 तक किसान दिल्ली के बॉर्डरों पर धरने पर बैठने को तैयार हैं । टिकैत ने यह बयान तब दिया था जब किसान नेताओं औऱ सरकार के बीच लगातार बढ़ती तनातनी के बीच जनवरी के बाद से सरकार की तरफ से औपचारिक बातचीत भी बंद हो गई । लेकिन...
More »नवीनतम उपलब्ध एनएसओ डेटा: फसल वर्ष 2012-13 और 2018-19 के बीच महंगा हुआ खेती करना
एक अर्थशास्त्री से यह सुनना लगभग तय है कि अगर सरकार के हस्तक्षेप के लिए कुछ मुफ्त या रियायती दर पर उपलब्ध है, तो लोग ऐसे सामानों / वस्तुओं का अति प्रयोग या अधिक उपभोग करते हैं. तो, सबसे अच्छा समाधान इस तरह के 'लगभग मुफ्त में उपलब्ध' या 'अत्यधिक सब्सिडी वाले' सामान या वस्तुओं के लिए एक बाजार बनाना है. एक बार जब लोग ऐसे सामान/वस्तुओं के उपयोग या...
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