अंजलि सिन्हा। अमेठी के पिछौरा गांव के जूनियर हाईस्कूल ने मिड डे मील पर उठी और पूरे सूबे में चर्चा का सबब बनी समस्या का समाधान निकाल लिया है। तय किया गया है कि दलित रसोइए की भी नियुक्ति होगी, लेकिन वह रसोई के बाहर ही काम करेगी और अंदर वाला काम यानी चूल्हे पर रसोई पकाने का काम सवर्ण रसोइया करेगी। आजाद, संप्रभुता संपन्न कहे जाने वाले दुनिया...
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बच्चों की कब्रगाह है मेलघाट-शिरीष खरे
विदर्भ को देश भर में किसानों की आत्महत्या वाले इलाके के रुप में जाना जाता है लेकिन इसी इलाके में सतपुड़ा पर्वत में बसी मेलघाट की पहाड़ियों में छोटे बच्चों की मौत के आंकड़े पहाड़ियों से ऊंचे होते चले जा रहे हैं. साल दर साल कोरकू आदिवासियों के हजारों बच्चे असमय काल के गाल में समाते चले जा रहे हैं. कुपोषण मेलघाट में 1993 को पहली बार कुपोषण से बच्चों के मरने...
More »देश नहीं भगवान को प्यारे
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में इंसेफलाइटिस से हज़ारों बच्चों का मरना और विकलांग होना जारी है. इससे बचने के उपाय हैं तो मगर दो सरकारों के झगड़ों और लालफीताशाही में उलझकर रह गए हैं जयप्रकाश त्रिपाठी की रिपोर्ट बच्चों की मौत बिना नागा जारी है. वे विकलांग भी हो रहे है. 2-4-6-8 साल के नन्हे-मुन्ने और मुन्नियां. कुछ दुधमुंहे भी हैं. रोने क्या कुनमुनाने तक से लाचार. एक-दो नहीं सैकड़ों-हजारों मासूम....
More »कक्षा एक की किताब नहीं पढ़ पाते 8वीं के बच्चे
देहरादून [अनिल उपाध्याय]। उत्तराखंड में प्राथमिक शिक्षा का स्तर दिनों दिन गिरता जा रहा है। स्कूलों में गुरुजी आराम फरमा रहे हैं और बच्चे मस्ती में व्यस्त हैं। हालात कितने खराब हैं कि पाचवीं से आठवीं तक के बच्चों को कक्षा एक की किताब पढ़ने में दिक्कत होती है। छात्र जोड़-घटाने में कच्चे हैं। गुणा-भाग तो दूर की बात हैं। अंग्रेजी अक्षरों का ज्ञान बहुत सीमित है। चौंकाने वाली बात यह...
More »दाने-दाने की राजनीति
इण्डिया और भारत के बीच की गहरी खाई में दो रोटियों के लिए स्कूल पहुंचने वाले बच्चों को पकाने वाले की जाति पर गुस्सा आ जाए यह बात अपने आप में चौंकाने वाली है अब तो मजहब कोई ऐसा भी चलाया जाए जिसमें इंसान को बस इंसान बनाया जाए 84 वर्षीय गीतकार गोपालदास नीरज ने अभी हाल में लखनऊ में अपने एक सम्मान समारोह में जब यह पक्तियाँ गाईं तो समूचा सभागार...
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