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विद्रोह की जमीन पर एक गांधीवादी- रामचंद्र गुहा

भारत के तीन ही राज्य हैं, जहां मेरा आज तक जाना नहीं हुआ। नगालैंड इनमें से एक है। अगली फरवरी में एक सामाजिक कार्यकर्ता नटवर ठक्कर के निमंत्रण पर वहां जाने का कार्यक्रम बना था, जिनके साथ पत्राचार तो काफी रहा, लेकिन मुलाकात कभी नहीं हुई। 1932 में पश्चिमी भारत में जन्मे नटवर भाई प्रख्यात गांधीवादी और देशभक्त काका साहब कालेलकर के संपर्क में आए और युवावस्था में ही अपना...

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प्राथमिकता नहीं है पर्यावरण-- ज्ञानेन्द्र रावत

पर्यावरण क्षरण का प्रश्न आज समूचे विश्व के लिए गंभीर चिंता का विषय है. कई रिपोर्टों, वैज्ञानिक अध्ययनों और शोधों ने रेखांकित किया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण उपजे खराब मौसम से प्रलयंकारी घटनाएं बढ़ेंगी. तेजी से बढ़ते तापमान के चलते गर्मी में लोगों की मौत का सिलसिला बढ़ेगा. ग्लेशियरों का पिघलना तेज होगा, जिससे नदियों का जलस्तर बढ़ेगा. ऐसे में बाढ़ की विभीषिका का सामना करना आसान नहीं...

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गांवों-शहरों का बुनियादी ढांचा-- वरुण गांधी

अहमदाबाद से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भावनगर के किसान स्थानीय शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा अपने गांव को शहरी सीमा में शामिल किये जाने का विरोध कर रहे हैं. ऐसा ही विरोध सूरत, हिम्मतनगर और मोरबी-वांकानेर के करीबी गांवों में भी देखने में आया है. यह असामान्य रुख है. ऐसा लग रहा है कि शहरीकरण के फायदों को ठुकराया जा रहा है. इस दौरान, भारत के शहरी...

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शिक्षक यात्रा : मालिक से मजदूर तक-- मृदुला सिन्हा

अब भी हमारे समाज में वे लोग मौजूद हैं, जिनकी कमीज उठाइए, तो पीठ पर गुरुजी की छड़ी के निशान होंगे. किसी की उंगली टेढ़ी, तो किसी की आंख में भी कुछ खराबी. पूछने पर बिना दांत के जबड़े हिलाते वे बड़े फख्र से कहेंगे- 'मैंने पंद्रह से बीस तक पहाड़ा याद करके नहीं सुनाया था, गुरुजी ने अपनी छड़ी मेरी झुकी पीठ पर चलाते हुए सारा पहाड़ा सुन लिये. ...

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ढहता हिमालय व गलते ग्लेशियर-- मृणाल पांडे

अगस्त का महीना देश के कई हिस्सों में तबाही लाया. केरल और हिमालयीन इलाके उससे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. केरल की उफनाती बाढ़ के नजारे हमने देखे. इसी बीच खबर आयी कि शिमला में कई भवन टूट गये और नैनीताल में लोअर मालरोड झील में समा गयी. बसों का खड्डों में गिरना और उफनते नालों में बह जाना तो लगभग रूटीन हो चला है. यह आनेवाले समय के...

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