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कौन ठगवा जमीनिया लूटे हो...

जैसा कि एक प्रसिद्ध रिपोर्ट एवरी थर्टी मिनटस्- फार्मर्स स्यूसाईडस्, ह्यूमन राईटस् एंड द एग्रीगेरियन क्राईसिस इन इंडिया के शीर्षक से जाहिर है- भारत में खेतिहर-संकट के कारण हर तीसवें मिनट पर एक किसान आत्महत्या को मजबूर है। उड़ीसा में बोलंगीर जिले के पटनागढ़ प्रखंड के गांव घूमर में गुजरे सितंबर महीने में एक किसान लिंगराज साहू की मौत हुई। क्या लिंगराज साहू की मौत को कोई रिपोर्ट आत्महत्या की श्रेणी में गिन सकती है? लिंगराज साहू...

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बीज विधेयक किसानों की हित-रक्षा में नाकाम

बीज विधेयक 2010 संसद के मौजूदा सत्र में बहस के बाद पारित किए जाने के लिए तैयार है। इस विधेयक का शुरुआती मसौदा किसानों के बजाय कृषि-व्यवसायियों के फायदे में होने के कारण विवादास्पद साबित हुआ था। पहले संसदीय स्थायी समिति और फिर सर्वदलीय बैठक में विचार-विमर्श के बावजूद कई किसान संगठनों, विपक्षी राजनीतिक दल तथा नागरिक संगठनों का मानना है कि यह विधेयक छोटे और सीमांत किसानों के हितों की रक्षा में सफल नहीं...

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अन्ना का आंदोलन- बहस की नई जमीन

भ्रष्टाचार के विरोध में कारगर, ताकतवर और जन-भागीदारी आधारित लोकपाल बिल तैयार करने के लिए  अन्ना हजारे की अगुवाई में चले आमरण अनशन की सफल समाप्ति के बाद बहस की एक नई जमीन तैयार हो रही है। बहस के केंद्र में खुद अन्ना हजारे और आंदोलन का उनका अहिंसक तरीका है तो जन लोकपाल बिल का वह मसौदा भी। नागरिक संगठनों का एक तबका अन्ना हजारे के हालिया बयानों से असहज है और उनकी धर्मनिरपेक्षता...

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लोकपाल विधेयक- - आर-पार की लड़ाई

बीते महीने शिलांग में हुए सूचना के अधिकार के राष्ट्रीय सम्मेलन के बाद यह स्पष्ट हो गया था कि आरटीआई का कानून शासन में पारदर्शिता,जवाबदेही और जनता की भागीदारी की एक नई राह खोल रहा है। और अब ,नागरिक संगठनों द्वारा सरकारी लोकपाल बिल के विकल्प के रुप में जो मसौदा तैयार किया गया है उससे इस बात पर मुहर लग गई है। भ्रष्टाचार निरोधी जन लोकपाल बिल के नाम से...

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आरटीआई कानून- हंगामा है क्यों बरपा ?

जो कभी इसके पैरोकार थे वही सूचना का अधिकार अधिनियम के कानूनी शक्ल लेने के पाँच साल बाद इतने चिन्तित क्यों है ? किस लिए एक बार फिर से इस मुद्दे पर धरना, रैली, सम्मेलन और भूख-हड़ताल की बाढ़ सी आई हुई है ? इसकी एक वजह तो यही है कि सूचना का अधिकार कानून से जिस मौन क्रांति का चक्का चल पडा है, उसकी गति को निहित स्वार्थवश किए...

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