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नोटबंदी की मार : बिहार के लोगों के हाथों से छिन गया काम..

पटना : नोटबंदी से राज्य से बाहर काम करनेवाले बिहार के कामगारों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है. काम बंद होने से मजबूरी में उन्हें घर लौटना पड़ रहा है. आठ-10 वर्ष पहले भी दूसरे प्रदेशों में काम करनेवाले बिहार के कामगार बड़ी संख्या में घर लौटे थे, लेकिन उस समय वे बिहार के हालत में जो सुधार आया था, उससे प्रेरित होकर लौटे थे. उन्हें एक...

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दिल्ली: मजदूर को कंपनी निदेशक बताकर किया काले धन को सफेद

बैंक प्रबंधकों एवं हवाला कारोबारियों की मदद से काले धन को सफेद करने के गोरखधंधे में दिहाड़ीदार मजदूरों को कंपनियों का निदेशक बना दिया गया। हवाला कारोबारियों ने ऐक्सिस बैंक में खाता खुलवाने के लिए ऐसी ही मुखौटा कंपनियों का सहारा लिया। खास बात है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जब इन मजदूरों से संपर्क किया तो उन्होंने खुद के किसी भी ऐसी कंपनी का निदेशक होने बाबत अनभिज्ञता जताई।...

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बाजार में नकदी संकट गहराया, हेलीकॉप्टर से लाये जा रहे हैं नोट

नयी दिल्ली/पटना/रांची : नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा कालेधन को खत्म करने के लिए 500 व 1000 के पुराने नोटों का सर्जिकल स्ट्राइक किये जाने के बाद जनता परेशान है. सरकार द्वारा उनकी परेशानियां खत्म करने के लिए किये जा रहे प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं. बैंक व एटीएम के बाहर खड़े लोगों में से कुछ जहां नाराजगी भरी प्रतिक्रिया दे रहे हैं, वहीं कुछ लोग आशावादी भी हैं...

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क्यों बढ़ रही है इलाज में लापरवाही-- महेन्द्र अवधेश

ओड़िशा एक बार फिर शर्मसार है। दाना मांझी प्रकरण की कालिख से बदरंग हुआ चेहरा भी राज्य सरकार को सबक नहीं दे सका। बीते अठारह अक्तूबर को राउरकेला जिला अस्पताल में लहुणीपाड़ा निवासी बबलू भूमिज अपनी ढाई साल की बच्ची का शव घर ले जाने के लिए एक अदद एंबुलेंस की खातिर डॉक्टरों की मनुहार करते रहे, लेकिन चौबीस घंटे तक भरसक प्रयास करने के बावजूद वह अंतत: नाकाम रहे।...

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नदियां अविरल बहेंगी या नहीं हमें तय करना है-- श्रीश चौधरी

ये नदियां नहीं बहेंगी, हम दशाश्वमेध, द्वारकाधीश या केशी घाट पर स्नान नहीं कर पायेंगे, उनका जल पीकर अपने शरीर के घाव एवं मन का पाप नहीं धो पायेंगे, वहां जाकर भी हम आरओ के पानी में स्नान करेंगे और बिस्लेरी ही पियेंगे, तो फिर इन मंदिरों का एवं वैशाख, कार्तिक एवं माघ महीने में वहां मास भर रहने का कोई अर्थ नहीं रह जाता है. पढ़िए अंतिम कड़ी. उन्नीसवीं...

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