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जीएम फसलों पर खास सतर्कता जरूरी: विशेषज्ञ

लेकिन भारतीय संगठन एनबीपीजीआर ने जैव विविधता को लाभदायक बताया   कुछ देशों में कॉटन और मक्का की जेनेटिकली मॉडीफाइड (जीएम) फसलों का पर्यावरणीय प्रभाव पडऩे की आशंकाओं के बीच रोम स्थित कृषि अनुसंधान संगठन बायोवर्सिटी इंटरनेशनल ने कहा है कि खाद्य सुरक्षा हासिल करने के लिए ऐसी परिष्कृत फसलों की खेती के लिए अनुमति देते...

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कमलनाथ के क्षेत्र में बिना मंजूरी के बन रहा है बांध..

अंबरीश कुमार, लखनऊ। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश सीमा पर स्थित पेंच नदी पर 41 मीटर का बड़ा बांध केंद्रीय मंत्री कमलनाथ के निर्वाचन क्षेत्र में बिना केंद्र सरकार की मंजूरी के बन रहा है। यह आरोप जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय की सदस्य मेधा पाटकर ने लगाया है। मेधा पाटकर ने पेंच परियोजना के खिलाफ आंदोलन छेड़ने से पहले जनसत्ता से बात करते हुए यह जानकारी दी। इस परियोजना में बांध क्षेत्र...

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जीएम फसलों के जमीनी परीक्षण पर रोक का स्वागत

सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त टेक्निकल एक्सपर्ट कमिटी ने अपनी सिफारिश में कहा है कि भारत में अगले 10 साल तक जीएम( परिवर्तित आणुवांशिकी वाले) फसलों के जमीनी परीक्षण पर रोक लगायी जानी चाहिए। पर्यावरणवादी समूहों, नागरिक संगठनों और वैज्ञानिकों ने इस सिफारिश का स्वागत किया है। समिति की सिफारिशों में भोजन के तौर पर इस्तेमाल होने वाली सारी बीटी-ट्रांसजेनिक फसलों के जमीनी परीक्षण पर रोक लगानी की बात शामिल है( मूल रिपोर्ट और विस्तृत ब्यौरे के...

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विस्थापन का विकास- भारत डोगरा

हमारे देश में विकास के मौजूदा दौर में विस्थापन की समस्या बहुत विकट हो गई है।  एक ओर पहले हुए विस्थापन से त्रस्त लोगों को अभी न्याय नहीं मिल पाया है, तो दूसरी ओर उससे भी बड़े पैमाने पर किसान और विशेषकर आदिवासी किसान नए सिरे से विस्थापित हो रहे हैं। हाल ही में जन सत्याग्रह संवाद के कार्यक्रम के अंतर्गत देश के लगभग साढ़े तीन सौ जिलों में भूमि संबंधी...

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हमारे लोकतंत्र का संकट- शिवदयाल

जनसत्ता 16 अक्टुबर, 2012: दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र, सवा अरब लोगों का। छह-सात प्रतिशत की दर से बढ़ती अर्थव्यवस्था। पर इसकी अधिकांश आबादी को अब तक ‘ट्रिकल डाउन’ यानी अमीरों के उपभोग से रिस कर मिलने वाले लाभ का ही आसरा है। छीजते जाते संसाधन, बिगड़ता जाता पर्यावरण, जलावतनी और विस्थापन, एक-दूसरे को काटती और खारिज करती पहचानें, लगभग एक-तिहाई से भी अधिक भूभाग सैन्यबलों के भरोसे, और इतने पर भी धन...

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