इस देश में गरीब कौन है? हमें मालूम है कि उनका वजूद तो है। हम उन्हें चित्रों में देखते हैं। हम उन्हें तब देखते हैं जब कोई भीषण बाढ़ हो या भयंकर सूखे ने उनकी आजीविका छीन ली हो। सच तो यह है कि हम उन्हें तब से देख रहे हैं जब सुनील जानाह के 1943 में पड़े बंगाल के अकाल के फोटो ने दुनिया की चेतना को झकझोर दिया...
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा-पूरी तरह नहीं मिल सकता RIGHT TO PRIVACY, इसका हो सकता है नियमन
नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि निजता का अधिकार ऐसा अधिकार नहीं हो सकता जो पूरी तरह मिले और सरकार के पास कुछ शक्ति होनी चाहिए कि वह इस पर तर्कसंगत बंदिश लगा सके. न्यायालय ने इस मुद्दे पर विचार करते हुए बुधवार को यह टिप्पणी की कि निजता का अधिकार संविधान के तहत मौलिक अधिकार घोषित किया जा सकता है कि नहीं. प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर...
More »मंदी के दौर में गोरक्षा-- तवलीन सिंह
जब अर्थव्यवस्था में मंदी के आसार दिखने लगे हैं और वित्तमंत्री गौमाता की बातें करते हैं अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में तो साफ जाहिर है कि हिंदुत्व सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है वर्तमान भारत में। हर हफ्ते सोचती हूं किसी दूसरे विषय पर लिखने का, लेकिन कुछ न कुछ ऐसा हो जाता है कि मजबूर होकर हिंदुत्व पर ही अटकी रहती हूं। इस बार तब रहा न गया, जब राजस्थान...
More »हानिकर है आधार की अनिवार्यता-- रीतिका खेड़ा
पिछले तीन सप्ताह सुप्रीम कोर्ट में एक अत्यंत अहम मामले की सुनवाई के साक्षी रहे हैं. शुक्रवार, 21 अप्रैल को जस्टिस एके सीकरी तथा जस्टिस अशोक भूषण की खंडपीठ ने आयकर अधिनियम में किये गये नवीनतम संशोधन को चुनौती देनेवाली दो रिट याचिकाओं को सुना. इस अधिनियम में धारा 139एए को जोड़ कर यह संशोधन आयकर रिटर्न दाखिल करते वक्त एवं स्थायी खाता संख्या (पैन) हासिल करने और उसे कायम...
More »जज को सजा से उपजे सवाल - विराग गुप्ता
कलकत्ता हाईकोर्ट के जज सीएस करनन का सुप्रीम कोर्ट के साथ शुरू हुआ चूहे-बिल्ली जैसा खेल एक तरह की संवैधानिक त्रासदी में तब्दील होता दिख रहा है। करनन ने सुप्रीम कोर्ट के आठ जजों के खिलाफ पांच वर्ष सश्रम कारावास का दुस्साहसिक आदेश दिया, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने करनन को छह महीने के लिए जेल भेजने का आदेश दे दिया है। गौरतलब है कि आजादी के बाद पहली बार...
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