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आईआईवीआर द्वारा विकसित लाल भिंडी से किसान कमा रहे अधिक मुनाफा, स्वास्थ्य के लिए है फायदेमंद

-रूरल वॉइस, अगर कोई आपसे पूछे कि भिंडी किस रंग की होती है, तो आप का जवाब होगा हरा…लेकिन अगर हम आपको बताएं कि हरे रंग की भिंडी के साथ-साथ अब लाल रंग की भिंडी भी मार्केट में आ गई है तो शायद आपको यकीन ना हो। लेकिन ये बिल्कुल सच है, क्योकि अब लाल रंग की भिंडी आ गई है। इस भिंडी के बीज को वाऱाणसी स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान...

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केंद्र सरकार ने 2022-23 के लिए रबी फसलों की MSP में की बढ़ोतरी, खेतीबाड़ी जानकारों ने बताया नाकाफी

-गांव सवेरा, आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने रबी विपणन सीजन (आरएमएस) 2022-23 के लिए सभी रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी करने को मंजूरी दी है. सरकार ने आरएमएस 2022-23 के लिए रबी फसलों की एमएसपी में इजाफा कर दिया है. सरकार ने गेहूं, जौ, चना, मसूर, सरसों और सूरजमुखी की सरकारी खरीद की कीमतों में इजाफा किया है. गेहूं की एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) 1975 रुपये प्रति...

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रबी सीजन में डीएपी और कॉम्प्लेक्स उर्वरक कमी हुई तो जाने किसानों के पास क्या है विकल्प

-रूरल वॉइस, अंतरराष्ट्रीय बाजार में रासायनिक उर्वरको की कीमतो में तेजी का दौर चल रहा है क्योकि चीन ने घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए यूरिया और डीएपी के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है । इसके अलावा, बेलारूस पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए आर्थिक प्रतिबंध की वजह से निर्यात करने में असमर्थ है जिसके कारण ,ग्लोबल मार्केट में  डीएपी के लिए जरुरी कच्चे माल जैसे फास्फोरिक एसिड और अमोनिया के...

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नवउदारवाद और राष्ट्रवाद के बीच में खेती-किसानी का भविष्य

-न्यूजक्लिक, सभी जानते हैं कि तीसरी दुनिया के देशों में मुक्ति का संघर्ष जिस साम्राज्यविरोधी राष्ट्रवाद से संचालित था, वह उस पूंजीवादी राष्ट्रवाद से बिल्कुल भिन्न प्रजाति की चीज थी, जिसका जन्म सत्रहवीं सदी में यूरोप में हुआ था। पश्चिम में इस तरह की प्रवृत्ति है, जिसमें प्रगतिशील भी शामिल हैं, जो राष्ट्रवाद को एकसार तथा प्रतिक्रियावादी श्रेणी की तरह देखती है। वे साम्राज्यविरोधी राष्ट्रवाद तक को यूरोपिय पूंजीवादी राष्ट्रवाद के...

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बुंदेलखंड: बादल मेहरबान, किसान फिर भी परेशान

-डाउन टू अर्थ, उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में झांसी जिले के किसान सुबोध यादव पिछले तीन दशक से सफल किसान के रूप में अपनी फसलों से संतोषजनक पैदावार ले रहे थे। लेकिन पिछले पांच सालों में मौसम, खासकर बारिश के बदले मिजाज ने खरीफ की फसलों के उनके हिसाब किताब गड़बड़ा दिया है। इस साल उन्होंने बारिश के पहले अपने नौ बीघा खेत में दस हजार रुपए की लागत से तिल...

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