बिहार का आसन्न चुनाव कितने नये रंग बिखेर रहा है! एक नया परिवार ही जन्म लेने, न लेने के पसोपेश में पड़ा है, तो एक नया आंबेडकर भी पूजा के स्थान पर प्रतिष्ठित किया जा रहा है. यह कितना अजीब है कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में जिन्होंने कभी भाग नहीं लिया; जो आजादी की लड़ाई में कभी जेल नहीं गये; आजादी की लड़ाई की जगह जिन्होंने वॉयसराय के दरबार की...
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बाबा साहेब का सपना - सतीश देशपांडे
हमारे समय की विडंबना है कि एक युग-व्यापी समाज चिंतक की भूमिका में डॉ बाबा साहेब आंबेडकर के ‘अच्छे दिन' अब आते लग रहे हैं। उनके एक सौ चौबीसवें जन्मदिन के अवसर पर हम उनकी बढ़ती प्रासंगिकता में यह सांत्वना ढूंढ़ सकते हैं कि हमारे पश्चिम-परस्त, ब्राह्मणवादी बुद्धिजीवी जगत में देर है अंधेर नहीं। आधी सदी की ‘रुकावट' के लिए खेद है, मगर देर-सवेर डॉक्टर साहेब को अपना मुनासिब स्थान...
More »गांधी के बाद महानतम भारतीय- उदितराज
कुछ लोग अपने जीवन में प्रसिद्धि प्राप्त कर लेते हैं, तो कुछ लोग मरणोपरांत। डॉ. भीमराव अंबेडकर अपने जीवन में बहुत ज्यादा प्रसिद्ध नहीं हो पाए, पर धीरे-धीरे उनका कद बढ़ता ही चला गया है। विगत दौर में महापुरुषों के अमर होने की अवधि भले बहुत लंबी रही हो, पर भविष्य में मूल्यांकन काम और विचार के आधार पर ही होने वाला है। संचार की दुनिया में क्रांति आने के...
More »आम आदमी की जिंदगी कैसे बदल सकता है नीति आयोग- संतोष महरोत्रा
योजना आयोग की जगह लेने वाले नीति आयोग को राज्यों के लिए एक नॉलेज हब माना जा रहा है। बतौर थिंक टैंक इसकी क्या भूमिका होनी चाहिए इस बारे में प्रधानमंत्री कार्यालय ने जनता से भी सुझाव मांगे थे। अब तक के इतिहास पर नजर डालें तो हम पाएंगे कि योजना आयोग राज्यों में हो रहे बेहतरीन कार्यक्रम व योजनाएं के संग्रह और इन्हें देश के दूसरे इलाकों में सफलतापूर्वक...
More »अध्यादेशों पर दोहरा रुख किसलिए? - ए. सूर्यप्रकाश
नरेंद्र मोदी सरकार इन दिनों आर्थिक सुधार को गति देने के लिए अध्यादेशों का सहारा लेने और संसद में गतिरोध से पार पाने के लिए आलोचना के घेरे में है। कांग्रेस समेत कुछ अन्य विपक्षी दल सरकार पर अध्यादेश राज थोपने का आरोप लगा रहे हैं और इस बारे में संवैधानिक प्रावधानों के उपयोग को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं। इस बारे में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी चिंता...
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