हरियाणा में आरक्षण की मांग को लेकर जाट प्रदर्शनकारियों ने जैसा खौफनाक कहर ढाया और आंदोलन के नाम पर जातीय दंगे सरीखे जो हालात उत्पन्न् किए, उसकी जितनी भर्त्सना की जाए, कम है। आरक्षण आंदोलन का ऐसा भयावह हश्र समाज और राजनीतिक दलों के साथ-साथ नीति-नियंताओं को आगाह करने वाला भी है। आरक्षण की जाटों की मांग नई नहीं है। वे 1995 से ही आरक्षण की मांग करते चले आ...
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छत्तीसगढ़ छोड़ने को मजबूर महिला वकील और पत्रकार-- आलोक प्रकाश पुतुल
छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में रह कर काम करने वाली महिला पत्रकार मालिनी सुब्रमण्यम ने कहा है कि वे पुलिस और पुलिस नियोजित प्रताड़ना से तंग आकर जगदलपुर छोड़ रही हैं. उधर पिछले कई सालों से आदिवासियों की मुफ़्त क़ानूनी मदद करने वाली संस्था जगदलपुर लीगल एड की महिला वकीलों ने भी कहा है कि वो बस्तर पुलिस की प्रताड़ना के कारण जगदलपुर छोड़ने के लिए मजबूर हैं. इससे पहले पूर्व विधायक और...
More »हमारे राष्ट्रवाद की अग्निपरीक्षा- हरीश खरे
जार्ज आर्वेल और उनके 1946 के लेख ‘राजनीति और अंग्रेजी भाषा' का स्मरण करिए। स्मरण करिए राजनीतिक संवाद में भाषा के प्रयोग के बारे में उनकी चेतावनी को : ‘राजनीतिक भाषा की रचना झूठ को सच जैसा और हत्या को आदरणीय कृत्य दिखाने, और कोरी हवाबाजी को वास्तविकता का जामा पहनाने के लिए की जाती है।' आर्वेल को यह समझने के लिए याद करने की जरूरत है कि जेएनयू प्रकरण...
More »अप्रभावी कानूनों से बढ़ रहे नीम-हकीम : कोर्ट
नई दिल्ली। दिल्ली की एक कोर्ट का कहना है कि देश में प्रभावी कानून व मुकदमे की प्रक्रिया का अभाव होने से नीम-हकीमों को बढ़ावा मिल रहा है जबकि इन अनैतिक लोगों के धंधे रूकना चाहिए। इस कठोर टिप्पणी के साथ ही उसने अनुचित दवाइयों से इलाज करने वाले एक व्यक्ति को दोषमुक्त कर दिया। दोषमुक्त किए गए व्यक्ति पर इंजेक्शन लगाने के बाद बच्चे की मौत होने का एक अलग...
More »खेल से वंचित होते बच्चे-- सुभाष गताडे
दिल्ली के मुंडका इलाके के बच्चे इन दिनों दुखी हैं। दरअसल, इस इलाके में उपलब्ध एक सौ सैंतालीस एकड़ खुली जमीन पर सरकार ने औद्योगिक परिसर बनाने का निर्णय लिया है। इसके इर्दगिर्द कम-से-कम आठ लाख लोग रहते हैं, जिनके बच्चों के खेलने के लिए यही एकमात्र खुली जगह है। जाहिर है कि इससे न केवल प्रदूषण में बढ़ोतरी होगी बल्कि बच्चे खुले में ही खेलने के लिए मजबूर होंगे...
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