SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 432

जहां ‘मिस्टर’ से ‘महात्मा’ बने गांधी

जिस समय मोहनदास करमचंद गांधी दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद, नस्लभेद और उपनिवेशवादी शोषण के विरुद्ध सामाजिक आंदोलन चला रहे थे, उसी समयावधि में भारत में एक समाज सुधारक अपना सर्वस्व त्याग कर विदेशी शिक्षा, अस्पृश्यता, असमानता, जातिवाद, अशिक्षा, राजनीतिक पराधीनता, अंधविश्वास, पाखंड आदि के विरुद्ध सामाजिक क्रांति कर रहा था। उनका नाम था- महात्मा मुंशीराम (संन्यास नाम स्वामी श्रद्धानन्द), जो हरिद्वार के निकट कांगड़ी नामक गांव में 1902 में गंगा...

More »

दबाव और द्वंद्व में पिसते मासूम-- ज्योति सिडाना

आजकल युवाओं का अच्छी नौकरी और उच्च वेतन पाने से संबंधित अलग-अलग तरह के दबावों के कारण आत्महत्या करना कुछ-कुछ समझ में आता है, लेकिन स्कूल में पढ़ने वाले छोटे-छोटे बच्चों की आत्महत्याएं समझ से परे हैं, क्योंकि इनके कारण गैर-तार्किक ही नहीं, बल्कि अर्थहीन भी होते हैं। उन्हें अपनी हर समस्या का एक ही हल नजर आता है- आत्महत्या कर लेना। उपभोक्तावाद ने एक-दूसरे की समस्याएं समझने की शैली...

More »

अप्रत्यक्ष कर में सुधार से लाभ-- भूपेन्द्र यादव

केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बहुप्रतीक्षित गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) को संसद से पारित कराने में ऐतिहासिक सफलता पायी है. इस सफलता की बदौलत अब अप्रत्यक्ष करों के मामले में देश में 'एक राष्ट्र एक कर' की अवधारणा को मूर्त रूप दिया जाना संभव हो सका है. अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में सुधार के लिहाज से यह सरकार द्वारा उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है. रोजगार...

More »

पंचायती राज से विकास लक्ष्य को हासिल करने के लिए-- नरेन्द्र सिंह तोमर

पंचायती राज व्यवस्था स्थानीय स्वशासन का एक विशिष्ट स्वरूप है। हमारे यहां पंच-परमेश्वर की अवधारणा रही है और हमारी संस्कृति में इसकी जड़ें काफी गहरी हैं। औपनिवेशिक शासन ने हालांकि इस पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाला। लेकिन स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद संविधान (73वां संशोधन) अधिनियम 1992 के लागू होने से ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से सामाजिक-आर्थिक विकास की जमीन तैयार हुई। 24 अप्रैल को यह ऐतिहासिक संविधान संशोधन लागू हुआ...

More »

सुधार की बाट जोहती अदालतें - विराग गुप्‍ता

पिछले दिनों उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या विवाद का विधिसम्मत समाधान निकालने के बजाय संबंधित पक्षों पर आम सहमति से निदान तलाशने का जिम्मा सौंप दिया। इसके उलट भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई में अनियमितताओं के लिए दोषियों को दंडित तो नहीं किया, अलबत्ता क्रिकेट प्रशासन में सुधार का जिम्मा सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के हाथ में सौंप दिया। शायद यही कारण रहा कि जब सर्वोच्च न्यायालय ने पूर्व सांसदों की पेंशन...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close