-आउटलुक हिंदी “खाद्य महंगाई दर दहाई अंकों में चली गई है। उपभोक्ता हित के लिए घरेलू किसानों की कीमत पर सस्ते आयात का रास्ता फिर खोला जा सकता है” डायरेक्ट यानी प्रत्यक्ष का रास्ता कई इनडायरेक्ट यानी अप्रत्यक्ष दिक्कतें लेकर आता है। यह बात कृषि क्षेत्र और किसानों के मामले में काफी हद तक लागू होती है। मसलन, सरकार को पता है कि दूध, गन्ना, आलू और प्याज जैसी फसल उगाने वाले...
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बजट 2020: पानी, रसोई और मकान को लेकर ग्रामीणों की क्या हैं उम्मीदें?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को 2020-21 का आम बजट पेश करेंगी। इससे पहले जुलाई 2019 में बजट पेश किया गया था। उस वक्त बजट पेश करते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा था, ''महात्मा गांधी ने कहा था भारत की आत्मा इसके गांवों में बसती है। हमारी सरकार का केंद्र बिंदू भी गांव, गरीब और किसान है।'' सरकार के केंद्र बिंदू में गांव का होना इस लिए भी जरूरी...
More »राजनीतिक दलों की बढ़ती वित्तीय आय में अपारदर्शी चुनावी चंदा
साल 2019 बीतते-बीतते प्रमुख राजनीतिक दलों की वित्तीय आय और इलेक्टोरल बॉन्ड यानि चुनाव में चंदे की नई व्यवस्था से जुड़ी कई खबरें और चर्चाएं सुनने को मिलीं. लोकतंत्र की बेहतरी के लिए काम करने वाली कई संस्थाओं ने और पत्रकारों ने आरटीआइ कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर चुनावी चंदा लेने के इलेक्टोरल बॉन्ड जैसे अपारदर्शी तंत्र पर सवालिया निशान खड़े किए. इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री पर रोक लगाने की मांग...
More »एक छोटी सी पहल ने बचाई लाखों की फसल
पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के रंजनडीह गांव में रहने वाली 55 वर्षीय साधमणि तुडु हर सुबह अपने खेत में जाने से पहले गांव में एक घर की दीवार पर लगा चाकबोर्ड देखना नहीं भूलतीं। तुडु कहती हैं, “पिछले चार साल से चाकबोर्ड देखना गांव से अधिकांश लोगों की आदत में शुमार हो चुका है।” यह चाकबोर्ड 2015 में कोलकाता स्थित गैर लाभकारी संगठन डेवलपमेंट रिसर्च कम्युनिकेशन एंड सर्विस सेंटर (डीआरसीएससी)...
More »बुजुर्गों को पेंशन देने के पैसे नहीं, और एनआरसी पर लाखों करोड़ खर्च रही सरकार
21 जनवरी को दिल्ली के 20 से अधिक संगठनों मिलकर जंतर मंतर पर पेंशन परिषद के बैनर तले पेंशन के मुद्दे पर ‘पेंशन नहीं तो वोट नहीं’ धरने का आयोजन किया। इस धरना रैली में दिल्ली एनसीआर के कोने-कोने से हजारों की संख्या में लोग एकजुट हुए और मंच से अपनी तकलीफें साझा की। इसमें सेक्स वर्कर, विकलांग, बेघर, असंगठित क्षेत्र के मजदूर, ट्रांसजेंडर, एकल व विधवा महिलाएं, बुजुर्ग अपने...
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