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इन्क्लूसिव मीडिया-यूएनडीपी फेलोशिप : परिणाम घोषित!

  इन्क्लूसिव मीडिया- यूएनडीपी फेलोशिप 2015 के लिए हिन्दी और अंग्रेजी भाषा के सात पत्रकारों का चयन किया गया है. ये पत्रकार दिल्ली, चंडीगढ़, झारखंड, हरियाणा, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ के हैं. चयनित पत्रकार अपने दैनंदिन के पत्रकारीय कामों से छुट्टी लेकर हाशिए के समुदायों के बीच कुछ समय बितायेंगे और इन समुदायों की चिन्ता और सरोकारों को रेखांकित करने के प्रयास करेंगे जिन्हें व्यापक कवरेज और लोगों की नजर...

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अन्न की बर्बादी और भूख-- रविशंकर

हर साल देश में करीब पचास हजार करोड़ रुपए का अनाज बर्बाद हो जाता है। एक ऐसे देश में जहां करोड़ों की आबादी को दो जून ठीक से खाना नहीं नसीब होता, वहां इतनी मात्रा में अनाजों की बर्बादी किस तरह की कहानी कहती है? इसकी पड़ताल कर रहे हैं रविशंकर। यह विडंबना नहीं, उसकी पराकाष्ठा है कि सरकार किसानों से खरीदे गए अनाज को खुले में छोड़कर अपना कर्तव्य पूरा...

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फ़सल बंपर, लेकिन किसान क्यों दे रहे जान?-- जुबैर अहमद

18 वर्षीय लवप्रीत सिंह का जीवन सामान्य तरीके से गुज़र रहा था. लेकिन पिछले महीने उनकी ज़िन्दगी में तब उथल-पुथल आई जब उनके पिता, 42 वर्षीय किसान बलविंदर सिंह, ने आत्महत्या कर ली. अमृतसर के निकट एक छोटे से गांव में अब वह अपनी मां और दादी के साथ रहते हैं और अकेली संतान होने के नाते परिवार की सारी ज़िम्मेदारियां उनके युवा कधों पर आ गई हैं. धान के दाम तेज़ी...

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कैसे करें सूखे का सामना-- बाबा मायाराम

पिछले साल किसान सूखे की मार झेल चुके हैं। इस साल फिर सूखा पड़ गया। जबकि कुछ वर्षों से किसान निरंतर संकट में हैं। उनकी हालत पहले से ही खराब है। इस वर्ष सूखे ने उन्हें गहरे संकट में डाल दिया है। भारतीय मौसम विभाग की भविष्यवाणी सही निकली है। खुद कृषि मंत्रालय ने स्वीकार कर लिया है कि सामान्य से पंद्रह-सोलह फीसद कम बारिश हुई। इससे खरीफ की फसल...

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आयात नहीं, दाल का उत्पादन बढ़ाएं-- बाबा मायाराम

जब आग लगती है, तभी हम कुआं खोदने के बारे में सोचते हैं। दालों के मामले में भी ऐसा ही हुआ। जब दाल के दाम इतने बढ़ गए कि उसे खाना मुश्किल हो गया, तब जाकर सरकार जागी। अब आनन-फानन में कई फैसले लिए जा रहे हैं। दाल आयात करने का फैसला लिया गया, व्यापारियों के गोदामों और दाल मिलों में छापे मारे गए, स्टॉक की क्षमता तय की गई।...

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