SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 274

क्लाइमेट चेंज की चपेट में छत्तीसगढ़, जल संकट और सूखे की मार

संदीप तिवारी, रायपुर। विकास के नाम पर जंगलों की अंधाधुंध कटाई, शहरीकरण और उद्योगों के प्रदूषण ने पर्यावरणीय संतुलन बिगाड़ दिया है। नतीजतन जलवायु परिवर्तन के कारण छत्तीसगढ़ में जलसंकट के साथ सूखे का खतरा मंडराने लगा है। इस साल बारिश कम होने से त्राहि-त्राहि मची है। आने वाले सालों में बारिश कम होने से अकाल पड़ने की चेतावनी दी गई है। तापमान बढ़ने से वन्य प्राणियों व आम आदमी...

More »

भूजल के अवैध इस्तेमाल पर एनजीटी सख्त

दिल्ली, फरीदाबाद और नोएडा में चल रही निर्माण परियोजनाओं में धड़ल्ले से समरसिबल पम्प लगाकर भूजल का अवैध प्रयोग करने वाले बिल्डरों की अब खैर नहीं है। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण इन निर्माण गतिविधियों में पानी की खपत, उस क्षेत्र के भूजल की स्थिति और पानी के लिए किए जा रहे खर्च पर रिपोर्ट तलब की है। निर्माण स्थलों पर औचक निरीक्षण करने के लिए एक समिति भी गठित कर दी।...

More »

जब साफ है गंगा तो फिर अरबों का खर्च क्यों

संतोष शुक्ल, मेरठ। गंगा नदी के कायाकल्प का दम भरने वाली केंद्र सरकार भ्रामक आंकड़ों में उलझ गई। क्लीन गंगा मिशन जिन आंकड़ों पर आगे बढ़ रहा है, उसके मुताबिक गंगाजल पूरी तरह प्रदूषणमुक्त है। इस रिपोर्ट में गंगाजल में पीएच मान, घुलनशील ऑक्सीजन (डीओ), बायोडिसॉल्व्ड आक्सीजन (बीडीओ) एवं कोलीफार्म का लोड संतुलित बताकर सफाई योजना के औचित्य पर ही प्रश्न खड़ा कर दिया गया है। अगर गंगा नदी में...

More »

कहां है सुधारों की अगली खेप-- रामचंद्र गुहा

सन 2009 के आम चुनाव के ठीक बाद मैंने बेंगलुरु में एक भाषण सुना, जो नई सरकार के लिए नीतियों के नए रोडमैप पर था। वक्ता थे राकेश मोहन, जो उद्योग व वित्त मंत्रालय में वरिष्ठ पदों पर रह चुके थे और उस वक्त रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर थे। राकेश मोहन का कहना था कि आर्थिक सुधारों की पहली लहर ने व्यापार को सरकारी नियंत्रण से बाहर निकाला और...

More »

अस्तित्व बचाने को जूझ रहीं "सभ्यता की जननी"

हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। जिनके आंगन में हजारों वर्षों से मानव सभ्यता फली-फूली, वे ही अपना अस्तित्व" बचाने को संघर्ष कर रहीं हैं। "सभ्यता की जननी" नदियों की हकीकत आज कुछ ऐसी ही है। जो हाल गंगा-यमुना का है वैसी पीड़ा में देश की 275 नदियां हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि जीवनदायिनी नदियों की हालत सुधरने के बजाय बदतर हो रही है। इनको निर्मल और अविरल बनाने की राह...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close