कई दूसरे शब्दों की तरह पिछले सालों में नैतिकता शब्द का भी घोर अवमूल्यन हुआ है. आज किसी भी काम के साथ इस शब्द के जुड़ते ही उससे एक पाखंडी बड़बोले उपदेशक के नक्की प्रवचन की ध्वनि कानों में रेत की तरह किरकिराने लगती है. शायद इसी वजह से जो नेकनीयत पत्रकार पेशे को समर्पित हैं, वे भी सच्चे तथा फेक, संदर्भयुक्त या संदर्भ से काटे गये समाचारों के संकलन...
More »SEARCH RESULT
'अर्बन नक्सल' कौन है, कहां है-- रविभूषण
'अर्बन नक्सल' एक गढ़ा हुआ राजनीतिक पद है. इसका अर्थ उन शहरी पत्रकारों, कवियों, लेखकों, बुद्धिजीवियों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और संस्कृतिकर्मियों से है, जो नक्सलवाद, माओवाद के समर्थक हैं. इस पद की वास्तविकता और इसके पीछे सत्ता-व्यवस्था और सरकारों की नीतियों पर इसके साथ कम विचार किया गया है. फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री की पुस्तक 'अर्बन नक्सल्स : द मेकिंग ऑफ बुद्धा इन ए ट्रैफिक जाम' (अंग्रेजी में गरुण प्रकाशन से...
More »दलितों का मिर्चपुर सही था-- विकास कुमार
आठ साल बाद ही सही, लेकिन हरियाणा के मिर्चपुर कांड में कोर्ट का फैसला आ चुका है. बीते शुक्रवार को दिल्ली हाइकोर्ट ने इस मामले में एससी-एसटी एक्ट के तहत सभी 20 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनायी. आठ साल बाद जब फैसला आया, तो कई पत्रकार पूछते पाये गये कि ये मिर्चपुर कांड था क्या? हुआ क्या था और कैसे हुआ था? जल्दी-जल्दी में गूगल किया गया और...
More »पत्रकारिता के शीर्ष कुलदीप नैयर-- नीरजा चौधरी
भारतीय पत्रकारिता के बड़े आधार-स्तंभों में से एक कुलदीप नैयर अब हमारे बीच नहीं रहे. मैं उन्हें भारतीय पत्रकारिता जगत का लिजेंड मानती हूं. मैं उनके काम करने के तरीके और उनकी पत्रकारिता को जितना नजदीक से जानती हूं, कह सकती हूं कि आज तकनीकी के इस दौर में भी कोई पत्रकार वैसा काम नहीं कर सकता. जिस तरीके से वे फैक्ट फाइंडिंग करते थे, उसमें कहीं भी कोई एकपक्षीय...
More »चुनौतियों से जूझता मीडिया-- आशुतोष चतुर्वेदी
मीडिया के खिलाफ एकतरफा फैसला सुनाने वाले आपको बहुत से लोग मिल जायेंगे. मीडिया पर टीका-टिप्पणी करना एक फैशन-सा हो गया है, लेकिन हम सब के लिए यह जानना जरूरी है कि मीडियाकर्मी कितनी कठिन परिस्थितियों में अपने काम को अंजाम देते हैं. पिछले दिनों एक व्हाट्सएप मैसेज वायरल हुआ- पहले अखबार छप के बिका करते थे, अब बिक के छपा करते हैं. इस संदेश...
More »