पिछले आम चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी का एक प्रमुख नारा था- ‘सबका साथ-सबका विकास'. अपने इस वादे पर अमल करते हुए सरकार ने पिछले एक साल में आम आदमी की समृद्धि और उन्हें आर्थिक सुरक्षा मुहैया कराने के उद्देश्य से कई नयी योजनाएं शुरू कीं. कुछ पिछली योजनाओं में भी तब्दीली करते हुए उन्हें नये नाम और प्रारूप में शुरू किया गया. जन-धन, बीमा और पेंशन आदि से जुड़ी...
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जिसका खाता, बस उसी को लाभ - मोहन गुरुस्वामी
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन नई सामाजिक सुरक्षा योजनाएं लॉन्च की हैं। इनमें दुर्घटना बीमा, जीवन बीमा और पेंशन योजनाएं शामिल हैं, जिनके मार्फत समाज के ऐसे वंचित-असंगठित तबके को लाभान्वित करने का लक्ष्य है, जिन तक अभी तक ऐसी योजनाओं के लाभ नहीं पहुंच पाए थे। लेकिन इसमें एक पेंच है। योजनाओं का लाभ वे ही लोग उठा सकेंगे, जिनका अपना एक बैंक खाता हो। हकीकत...
More »इंसान के जमीर की आवाज का जागना - गोपालकृष्ण गांधी
जमीर क्या है? दिल-ओ-दिमाग से भी आगे, एक ऐसे कोने में सिकुड़कर बैठा हुआ एक खयाल, जो कि अकसर खामोश रहता है, आसपास के शोरगुल से कोई ताल्लुक ना रखते हुए, वो अपने खयालों में खोया-खोया रहता है। लेकिन कभी-कभी, वह यकायक उठ खड़ा होता है, अंगड़ाई लेता है और फिर ऐसे बोलता है कि उसकी आवाज को सुनना पड़ता है। किस जुबान में बोलता है जमीर? क्या जिस इंसान में उसका घर...
More »राजनीतिक बिसात पर आंबेडकर- कुमार प्रशांत
बिहार का आसन्न चुनाव कितने नये रंग बिखेर रहा है! एक नया परिवार ही जन्म लेने, न लेने के पसोपेश में पड़ा है, तो एक नया आंबेडकर भी पूजा के स्थान पर प्रतिष्ठित किया जा रहा है. यह कितना अजीब है कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में जिन्होंने कभी भाग नहीं लिया; जो आजादी की लड़ाई में कभी जेल नहीं गये; आजादी की लड़ाई की जगह जिन्होंने वॉयसराय के दरबार की...
More »शक्ल ही भद्दी हो तो आईना क्या करे? - शरद यादव
नैतिकता, स्त्री-पुरुष संबंधों और स्त्री से जुड़े तमाम सवालों को लेकर हमारे सामाजिक और राजनीतिक जीवन में खासकर खाए-अघाए तबके में पाखंड इस कदर हावी है कि वह अपनी तमाम कुंठाओं को तरह-तरह से छुपाता है और सच का या कड़वे सवालों का सामना करने से कतराता और घबराता है। इसलिए 'नईदुनिया" के 18 मार्च के अंक में श्री अमूल्य गांगुली ने मेरी आलोचना करते हुए जो लेख लिखा, उससे...
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