सरकार अब राशन में खाद्यान्न की जगह नकद भुगतान करने जा रही है. इसका पायलट फेज दिल्ली की दो बस्तियों में प्रारंभ भी कर दिया गया है. सरकार के इस कदम के बाद यह कहना गलत नहीं होगा कि सरकार अपनी संवैधानिक प्रतिबद्धता को भी समाप्त करने की कोशिश कर रही है. हालांकि सार्वजनिक वितरण प्रणाली को कमजोर करने की साजिश तो वर्ष 1991 के बाद से ही शुरु हो...
More »SEARCH RESULT
सब्सिडी का अनोखा खेल-डॉ भरत झुनझुनवाला
वित्त मंत्री ने मन बनाया है कि लाभार्थी को सब्सिडी नगद रूप में दी जाए. वित्त मंत्री के मंतव्य का स्वागत किया जाना चाहिए. गरीब के नाम पर उच्चवर्ग और कंपनियों को पोषित करना उचित नहीं. हमारे धर्मग्रंथों में भी गरीब को नगद देने की बात कही गयी है. सरकार द्वारा डीजल, यूरिया, खाद्यान्न आदि पर सब्सिडी दी जा रही है. आम आदमी समझता है कि इससे उसे राहत मिल रही...
More »अधिग्रहण पर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने मानी गलती
नोएडा। किसानों की जमीन के अधिग्रहण के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण बैक फुट पर आ गया है। प्राधिकरण ने माना कि उनसे गलती हुई है। किसानों की जमीन के मामले पर किसानों के साथ बैठ कर बात की जाएगी। किसानों की जमीन को वापस करने के मामले पर प्राधिकरण सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इंतजार कर रहा है, जिसकी जानकारी पत्रकार वार्ता में प्राधिकरण के...
More »असल संत की अंत कथा- आशीष खेतान और मनोज रावत
गंगा को लेकर संतों और खनन माफिया के बीच छिड़ी लड़ाई में उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने एक नहीं बल्कि बार-बार और खुल्लमखुल्ला खनन माफिया का साथ दिया है. स्वामी निगमानंद की मौत के पीछे का सच सामने लाती आशीष खेतान और मनोज रावत की विशेष पड़ताल बाबा रामदेव को ध्यान खींचने की कला आती थी. स्वामी निगमानंद के पास यह हुनर नहीं था. इसलिए एक ओर रामदेव विदेशों में जमा...
More »चवन्नी ने देखे हैं इतिहास के कई रंग-रूप
नई दिल्ली। पाई, अधेला और दुअन्नी, एक पैसा, दो पैसे, पाच पैसे, दस पैसे और 20 पैसे के बाद अब चवन्नी भी आज से इतिहास में समा गई। चवन्नी धातु का एक सिक्का मात्र नहीं थी बल्कि हमारे इतिहास का एक ऐसा गवाह भी थी जिसने वक्त के न जाने कितने उतार चढ़ाव देखे। सन 1919, 1920 और 1921 में जार्ज पंचम के समय खास चवन्नी बनाई गई थी। इसका...
More »