बढ़ती महंगाई एक बार फिर चर्चा में है। वरना तो महंगाई का जिक्र चुनावी सभाओं या नीति आयोग जैसी संस्थाओं की गंभीर बैठकों में होता है। अर्थशास्त्री इसे मुद्रास्फीति से जोड़ते हैं तो किसान-दुकानदार 'मुनाफाखोरी" से। महंगाई पर चर्चा क्या सिर्फ आंकड़ों की कलाबाजी है या फिर यह हकीकत से भी जुड़ी है? सरकार का दावा है कि मुद्रास्फीति की दर दो अंकों से गिरकर एक अंक की हो गई...
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जल, जंगल और जिम्मेदारी-- शशि शेखर
आज विश्व पर्यावरण दिवस है और अपनी बात बचपन में सुनी हुई एक लोक कथा से शुरू करना चाहता हूं। कहानी कुछ यूं है- गांव के छोर पर एक पेड़ था। विशाल हरा-भरा। बच्चे उसके चारों ओर दौड़ते। तरह-तरह के खेल खेलते। कोई उसके तने के पीछे छिप जाता। कोई उसकी शाखाओं पर चढ़ने की कोशिश करता। पेड़ मगन था। बच्चों की हंसी उसे गुदगुदाती। वह हवाओं में झूम-झूमकर नाचता।...
More »संवेदनशील बने मुआवजे का तंत्र- योगेन्द्र यादव
राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में किसान ओलावृष्टि का मुआवजा मांगने कलेक्टर के पास गए। मुआवजे के बदले उन्हें मिली गालियां और गिरफ्तारी की धमकियां। इसमें कुछ नई बात नहीं है। किसानों को आए दिन सरकारी दफ्तरों में अपमान झेलना पड़ता है। नई बात सिर्फ यह थी कि इस घटना का वीडियो बना और टी.वी. पर चल गया। इस बहाने देश का ध्यान रबी की फसल के नुकसान और मुआवजे की...
More »कितना हो फसल का मुआवजा, तय करेगा सुप्रीम कोर्ट
साल दर साल सूखे, वारिस और ओला वृष्टि से परेशान किसान एक ओर जहां मुआवजे के लिए सरकार का मुंह देख रहे हैं, और ये उम्मीद कर रहे है कि 5 साल में भले ही उनकी आमदनी दुगुनो हो, न हो लेकिन विगत दिनों देश के बड़े हिस्से में जिस तरह से ओला वृष्टि से किसानों की कमर टूट गयी है, उससे राहत के लिए मुआवजा मिले..ताकि उनकी जिंदगी सरल...
More »बिना उजाड़े भी विकास संभव सिक्किम दिखा रहा है राह
कहते हैं कि तरक्की के लिए कुछ समझौते करने पड़ते हैं. बात करें किसी राज्य की तरक्की की, तो सबसे ज्यादा खामियाजा उठाना पड़ता है उसके वनों और खेतों को़ चूंकि उन्हें उजाड़कर कल-कारखाने और कॉलोनियां बसायी जाती हैं. लेकिन देश के छोटे राज्यों में शुमार, सिक्किम ने अपनी नीतियों की बदौलत वनों को बचा-बढ़ाकर और जैविक कृषि को अपनाकर और यह धारणा तोड़ी है़ सेंट्रल डेस्क आज भौतिक तरक्की की...
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