कुछ साल पहले एक बुजुर्ग मुझे गाना सिखाने के लिए हर सुबह मेरे घर आया करते थे. वे भले व्यक्ति थे और यह काम दशकों से करते आ रहे थे. चूंकि हमारी मुलाकात नियमित रूप से हुआ करती थी, हम गाने की शिक्षा से पहले और बाद में उनसे कई सारे विषयों पर बात भी करते थे. उनमें जितनी गहरी लगन अपने संगीत को लेकर थी, उतनी ही गंभीरता से...
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झारखंड: नरेगा मजदूरों की गुहार, हमें बचाइए सरकार!
मनरेगा के दस साल पूरे होने पर उसकी कामयाबियों को केंद्र की भाजपा नीत एनडीए सरकार ने राष्ट्रीय गर्व का विषय बताया था लेकिन भाजपा के राज वाले झारखंड में उल्टा होता दिख रहा है. मामला झारखंड के लातेहर जिले के मणिका प्रखंड में सक्रिय मनरेगा मजदूरों के संगठन ग्राम स्वराज मजदूर संघ(जीएसएमएस) के सदस्यों के उत्पीड़न का है. इन्क्लूसिव मीडिया फॉर चेंज को हासिल एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया...
More »अति पिछड़ों की राजनीतिक भूमिका-- बद्री नारायण
बिहार में अब सिर्फ दलितों और पिछड़ों की राजनीति नहीं हो रही, इसकी राजनीति का नया रुझान महादलित और अति पिछड़ों से जुड़ा है। ये दो श्रेणियां बताती हैं कि जिन्हें हम दलित और पिछड़े वर्गों की तरह देखते हैं, उनका स्वरूप हर जगह एक सा नहीं है। इन वर्गों के भीतर भी गैर-बराबरी, ऊंच-नीच या भेदभाव है। इसके चलते संसाधनों का समान वितरण नहीं हो पाता। इनके भीतर भी ऐसी...
More »विस्थापन के सबसे ज्यादा शिकार हैं आदिवासी : मंत्रालय की रिपोर्ट
देश की आबादी में अनुसूचित जनजाति के लोगों की तादाद 8.6% है लेकिन विकास परियोजनाओं के कारण विस्थापित होने वाले लोगों कुल संख्या में अनुसूचित जनजाति के लोगों की तादाद 40 प्रतिशत है। भूमि अधिग्रहण संबंधी अध्यादेश के जारी होने के साथ उपजे विवाद के बीच आई एक नई रिपोर्ट में विस्थापन और विकास के संदर्भ में आदिवासी समुदाय के लोगों से संबंधित ऐसे कई महत्वपूर्ण तथ्यों का उल्लेख है।...
More »खेती की सुध कौन लेगा- धर्मेन्द्रपाल सिंह
जनसत्ता 1 अगस्त, 2014 : मौसम विभाग दावा कर रहा है कि वर्षा सामान्य से केवल दस प्रतिशत कम रहेगी। लेकिन बुआई का कीमती समय निकल जाने की भरपाई कैसे होगी, इसका जवाब उसके पास नहीं है। कृषि मंत्रालय ने एक जून से सत्रह जुलाई के बीच देश भर में धान, दलहन, सोयाबीन, कपास, मूंगफली आदि की बुआई का जो रकबा जारी किया है उसे देख कर लगता है कि इस...
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