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सहस्राब्दि विकास लक्ष्य- भारत किस ओर?

सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्य(एमडीजी) पर केंद्रित इंडया कंट्री रिपोर्ट में कहा गया है कि भुखमरी और मातृ मृत्यु को 2015 तक कम करने के दो महत्वपूर्ण लक्ष्य से भारत पीछे रह जाएगा। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भोजन की कमी के शिकार लोगों की संख्या में 50 प्रतिशत कमी करने के अपने लक्ष्य से पीछे रह जाएगा। यह एमडीजी-1 के अंतर्गत लक्ष्य-2 में...

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बिलासपुर घटना से मिले सबक - डा. मनोहर अगनानी

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में नसबंदी ऑपरेशन के दौरान लापरवाही के कारण एक दर्जन से ज्यादा महिलाओं की मौत हो गई। खबरों के मुताबिक औजारों को ठीक से रोगाणुहीन नहीं किया गया था या दवाइयों में कुछ मिलावट के कारण महिलाओं को विषबाधा हुई। प्राथमिक जांच में दूसरा कारण सामने आ रहा है। इस घटना से परिवार नियोजन कार्यक्रम पर प्रश्न-चिह्न लग गया है, जो मीडिया के मुताबिक न तो पारदर्शी...

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औसत भारतीय की उम्र में इजाफा- विश्व स्वास्थ्य संगठन

बीते दो दशकों में भारत में आयु-संभाविता बढ़ी है लेकिन इस मामले में भारत अभी चीन, ब्राजील और श्रीलंका से पीछे है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट वर्ल्ड हैल्थ स्टैटिक्स 2014 के तथ्यों के अनुसार साल 1990 से 2012 के बीच भारत में स्त्री-पुरुष दोनों की आयु-संभाविता में बढोत्तरी देखी गई है। इस अवधि में पुरुषों के लिए आयु-संभाविता (जन्म के समय) 57 वर्ष से बढ़कर 66 वर्ष तक पहुंची है जबकि महिलाओं के मामले में 58...

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नयी सरकार के सामने गांव के पुराने मुद्दे- पंचायतनामा डेस्क

16 मई को देश में लोकसभा चुनाव का परिणाम आ गया है. देश को भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार मिलने जा रही है. भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने चुनाव अभियान के दौरान अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर राजनीतिक हमले के साथ विकास के मुद्दे को फोकस किया. उन्होंने कृषि, ग्रामीण रोजगार, शौचालय जैसे अहम मुद्दों की चर्चा प्रचार अभियान के दौरान की. हम अपनी आमुख कथा में गांव-पंचायत...

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राजनीतिक विमर्श और जन-स्वास्थ्य- नीकी नैनसी

जनसत्ता 9 मई, 2014 : सोलहवीं लोकसभा के चुनाव अपने आखिरी चरण में हैं, लेकिन अभी तक किसी पार्टी ने सामाजिक विकास को लेकर कोई ठोस बहस या तथ्य पर आधारित चर्चा करने की जरूरत नहीं समझी है। किसी भी पार्टी का घोषणापत्र उठा लें, एक बात पर सभी अपना दावा करते नजर आएंगे- आर्थिक और समेकित विकास। इन भारी-भरकम शब्दों के इस्तेमाल में आपको कोई कटौती नहीं मिलेगी, चाहे...

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