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क्या मनरेगा के लिए आंवटित अतिरिक्त 40,000 करोड़ रुपये का राहत पैकेज लॉकडाउन के दौरान वापस लौटे प्रवासी मजदूरों के लिए मददगार साबित होगा ?

साल 2020 की शुरुआत में सामाजिक कार्यकर्ताओं और संबंधित अर्थशास्त्रियों ने साल 2020-21 के लिए गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS) के तहत कम से कम 1 लाख करोड़ रुपये के आवंटन की मांग की. लेकिन 1 फरवरी को वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में वित्त वर्ष 2020-21 के लिए मनरेगा के तहत केवल Rs.61,500 करोड़ आवंटित किए. जोकि 2019-20 में मनरेगा पर खर्च किए गए फंड की तुलना...

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मुद्रा योजना: आसान कर्ज वाली बात हकीकत से बहुत दूर है

बिहार के छपरा के कटहरी बाग में फूलों की एक छोटी सी दुकान चलाने वाले धनंजय कुमार (38 वर्ष) को अपना कारोबार बढ़ाने के लिए कुछ पैसों की जरूरत थी। केंद्र सरकार की 'मुद्रा योजना' के तहत उन्होंने एक नजदीकी बैंक में लोन के लिए अप्लाई किया, लेकिन उन्हें लोन नहीं मिला। धनंजय कुमार सहित दर्जनभर फूल कारोबारियों की लोन की अर्जी को यह कहकर खारिज कर दिया गया कि...

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जनविरोधी बजट के खिलाफ नागरिक और सामाजिक संगठनों का विरोध प्रदर्शन आज

वर्ष 2020-21 के बजट को जनविरोधी करार देते हुए देशभर के चार दर्जन से अधिक संगठनों ने इस बजट के खिलाफ आज दिल्ली के जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है. इन संगठनों की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि बजट 2020 लोगों की उम्मीदों को पूरी तरह से धोखा देता है। ऐसे समय में जब आर्थिक मंदी है, कृषि संकट चल रहा है और...

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क्या मनरेगा बजट डूबती ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए काफी है?

वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा 1 फरवरी, 2020 को प्रस्तुत केंद्रीय बजट 2020-21, सामाजिक कार्यकर्ताओं और किसान समूहों (यहां और यहां क्लिक करें) को प्रभावित करने में विफल रहा हैं. अपनी प्रेस नोटों के माध्यम से, इन सगंठनों के सदस्य विशेष रूप से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) और प्रधानमंत्री किसान विकास योजना (PM-KISAN)और ग्रामीण और कृषि क्षेत्र के लिए बजटीय आवंटन में बढ़ोतरी करने के लिए केंद्र सरकार से लगातार मांग कर...

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नरेगा संघर्ष मोर्चा 2020-21 में नरेगा के लिए पर्याप्त बजट की मांग करता है

जैसे कि भारतीय अर्थव्यवस्था दुर्बल हो रही है, सरकार राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) के कामकाज में सुधार के लिए  हाल ही में नोबेल पुरुस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी सहित कई प्रसिद्ध अर्थशास्त्रियों द्वारा दी गई सलाह को नज़रअंदाज़ कर रही है। अर्थव्यवस्था को एक के बाद एक झटके लग रहे हैं। भारत में वर्तमान समय में  पिछले 45 वर्षों में  सर्वाधिक बेरोजगारी की  दर  हैऔर खाद्य मुद्रास्फीति नवंबर 2019 में दो  अंको  पर पहुंच गई है , जो पिछले  71 महीनो  में सर्वाधिक है । सरकार के स्वयं...

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