देश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए सरकार को खपत कम और निवेश अधिक करने होंगे. विदेशी निवेश से प्राप्त रकम का सदुपयोग हाइवे तथा इंटरनेट सुविधाओं के लिए किया जायेगा, तभी रुपया स्थिर होगा. रुपये में आयी गिरावट का मूल कारण हमारे नेताओं का विदेशी निवेश के प्रति मोह है. विदेशी निवेश को आकर्षित करके देश को रकम मिलती रही. देश की सरकार इस रकम का उपयोग मनरेगा या भोजन...
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मुक्त बाजार का दुश्चक्र- सुनील
जनसत्ता 27 अगस्त, 2013 : रुपया लुढ़कता जा रहा है। इसे रोकने की भारत सरकार और रिजर्व बैंक की सारी कोशिशें नाकाम होती जा रही हैं। चारों तरफ घबराहट फैल रही है। इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ रहा है। पेट्रोल सहित तमाम आयातित वस्तुएं महंगी होने से महंगाई का एक नया सिलसिला शुरू हो रहा है। एक तरह से हम महंगाई का आयात कर रहे हैं। इतना ही नहीं, विदेशी...
More »डर्टी मनी : अर्थव्यवस्था का दंश- लालकृष्ण आडवाणी
गत सप्ताह लालकिले पर स्वतंत्रता दिवस समारोह में मेरे पास भारत के 13वें नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आरएच ताहिलियानी बैठे थे, जो नवंबर, 1987 में सेवानिवृत्त हुए हैं. अचानक ही उन्होंने मुझसे पूछा, मिस्टर आडवाणी, आजकल आप कौन सी पुस्तक पढ़ रहे हो? मैंने उन्हें बताया कि कल ही मुझे डर्टी मनी (गंदा धन) पर एक पुस्तक मिली है, जिसे मैंने पढ़ना शुरू किया है. पुस्तक के लेखक हैं रेमण्ड बेकर. बेकर अमेरिकी...
More »1991 जैसे संकट की नौबत नहीं: मनमोहन
नई दिल्ली। डालर के मुकाबले गिरते रुपए और शेयर बाजार में जारी गिरावट को थामने के सरकार के प्रयासों के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश में 1991 के भुगतान संकट की पुनरावृत्ति और अर्थव्यवस्था के वैश्वीकरण की राह से हटने की आशंकाओं को शनिवार को खारिज कर दिया। प्रधानमंत्री ने वैश्वीकरण और वित्तीय समस्याओं से घिरी अर्थव्यवस्था में मौद्रिक नीति की सीमाओं और संभावनाओं पर नए सिरे से गौर...
More »पहाड़ के दुख के बीच रैम्बोगीरी
जनसत्ता 4 जुलाई, 2013: जोसेफ हैलर के प्रसिद्ध उपन्यास ‘कैच ट्वेंटी टू' में किसी नकली बीमारी का बहाना बना कर खुद को युद्धक्षेत्र भेजे जाने से मुक्त कर चुका बमवर्षक यूनिट का पादरी पाता है कि आह, भरोसेमंद तरीके से सचमुच का झूठ बोल जाना कितना सहज है! छाती ठोंक कर वह कहता है कि दरअसल निर्ममता को देशप्रेम और परउत्पीड़न को न्याय का पर्याय बताने वाले सफेद झूठों को...
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